औपनिवेशिक भारत में प्रमुख शिक्षा संस्थान भारतीयों को ‘विदेशी’ बनने या स्वीकार्य पश्चिमी मापदंडों के आधार पर अपनी सभ्यता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित करने का कार्य करते रहे. ...
सामाजिक-आर्थिक सीढ़ी पर जातियां अलग-अलग पायदान पर स्थित होती हैं और सबका अपना-अपना दायरा होता है. आज जाति की शक्ति की कोई उपेक्षा नहीं कर सकता, खास तौर पर राजनीति के क्षेत्र में तो ऐसा सोचना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. ...
आज ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विश्व में अग्रणी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. इसके विपरीत भारत में शिक्षा अनेक विसंगतियों से जूझती आ रही है. शिक्षा के क्षेत्र में ढलान के लक्षण लाभकारी नहीं हैं. ...
हमारी संसद लोकतंत्र के वैचारिक शिखर और देश की संप्रभुता को भी द्योतित करती है. इसलिए उसकी गरिमा बनाए रखना सबका कर्तव्य बनता है. इसके लिए कार्य करने का दायित्व धारण करने वाले जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा होती है कि वे संसद की बैठकों में नियमित भाग लें और ...
कुछ ऐसा ही हुआ जब भक्ति, समर्पण और जीवन में उत्कर्ष की आकांक्षा लिए निष्ठा के साथ इकट्ठा हुए श्रद्धालु भक्तों के हुजूम के बीच अचानक हुई भगदड़ के दौरान बीती दो जुलाई को सवा सौ लोगों को असमय ही अपनी जानें गंवानी पड़ीं और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए ...
चुनावी घमासान में सबने एक स्वर से देश को आगे ले जाने की कसमें खाई थीं किंतु शिक्षा की प्रासंगिकता तथा रोजगार के लिए शिक्षा के महत्व को लेकर लगभग सभी मौन ही धारण किए रहे. ...
International Yoga Day 2024: प्राणायाम का अर्थ होता है प्राण का विस्तार और उसकी अभिव्यक्ति. योग की परंपरा में प्राणिक ऊर्जा को नियमित करने और सकारात्मक रूप से संचारित करने के लिए प्राणायाम पर बल दिया गया है. ...
स्मरणीय है कि बुद्ध के पहले कर्म की अवधारणा कर्मकांड से जुड़ी हुई थी। जैन विचारकों ने उसके नैतिक पक्ष की ओर ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से हिंसा को ध्यान में रख कर। ...