तोक्यो, 29 सितंबर (एपी) जापान के पूर्व विदेश मंत्री फूमिओ किशिदा ने बुधवार को सत्तारूढ़ पार्टी के नेता पद का चुनाव जीत लिया और इसके साथ ही उनका प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है।
प्रधानमंत्री बनने पर 64 वर्षीय किशिदा के समक्ष महामारी का दंश झेल रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और बढ़ते क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए अमेरिका के साथ मजबूत गठबंधन बनाने की चुनौती होगी।
किशिदा, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के निवर्तमान नेता एवं प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा का स्थान लेंगे। पिछले साल सितंबर में पार्टी के प्रमुख का पद संभालने के महज एक साल बाद ही सुगा यह पद छोड़ रहे हैं।
लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नए नेता के तौर पर किशिदा का संसद में सोमवार को अगला प्रधानमंत्री चुना जाना तय है। संसद में उनकी पार्टी और इसकी सहयोगी का दोनों सदनों में बहुमत है।
अपने विजय भाषण में किशिदा ने कोविड-19, महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और घटती जनसंख्या तथा जन्मदर की समस्याओं सहित राष्ट्रीय संकटों से निपटने का वादा किया। उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने वाले एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के जरिए जापान के भविष्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाएंगे।
किशिदा ने पार्टी के नेता पद के मुकाबले में लोकप्रिय टीकाकरण मंत्री तारो कोनो को हराया। पहले चरण के चुनाव में, उन्होंने दो महिला उम्मीदवारों सना तकाइची और सेइको नोडा को पराजित किया था।
दूसरे चरण के चुनाव में, 170 के मुकाबले 257 वोटों से मिली शानदार जीत से यह प्रदर्शित होता है कि किशिदा को अपनी पार्टी के दिग्गजों का समर्थन मिला, जिन्होंने कोनो द्वारा समर्थित बदलाव के बजाय स्थिरता को चुना। कोनो को स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है।
नए नेता पर पार्टी की छवि को सुधारने का दबाव होगा, जो सुगा के नेतृत्व में खराब हुई है। कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तौर तरीकों और तोक्यो में ओलंपिक कराने पर अड़े रहने को लेकर सुगा ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया।
परंपरावादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) को आने वाले दो महीनों में संसद के निचले सदन के चुनाव से पहले शीघ्र ही जन समर्थन अपने पक्ष में करने की जरूरत है।
किशिदा ने कहा कि उन्होंने अतीत में कई मतदाताओं से यह शिकायत सुनी है कि उनकी अनदेखी की जा रही है।
उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा लोकतंत्र संकट में है। मुझमें लोगों को सुनने का विशेष कौशल है। मैं एक कहीं अधिक खुली एलडीपी और आप सभी के साथ जापान के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाने की कोशिश करने को लेकर कटिबद्ध हूं।’’
किशिदा ने जापान की रक्षा क्षमता और बजट बढ़ाने का आह्वान किया है और उन्होंने स्व शासित ताईवान को लेकर उपजे तनाव पर चीन के खिलाफ खड़े रहने का संकल्प लिया है।
किशिदा ने अपने ‘‘नव पूंजीवाद’’ के तहत वृद्धि और वितरण का आह्वान करते हुए कहा कि जापान में सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था ने केवल बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया।
तोक्यो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर यु उचियामा ने कहा कि नए नेतृत्व में अहम कूटनीतिक और सुरक्षा नीतियों में बहुत कम बदलाव होने की उम्मीद है।
किशिदा जापान एवं अमेरिका के बीच करीबी सहयोग और एशिया एवं यूरोप में समान विचारों वाले अन्य देशों के साथ साझेदारी का समर्थन करते हैं, जिसका एक उद्देश्य चीन और परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया का मुकाबला करना भी है।
गौरतलब है कि आबे ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा दे दिया था और इसके साथ ही उनका आठ साल का कार्यकाल खत्म हो गया था। उनके इस्तीफा देने के बाद सुगा केवल एक साल तक इस पद पर रहे और अब वह इस्तीफा दे रहे हैं।
किशिदा, 2020 में सुगा से पार्टी नेतृत्व की दौड़ में हार गये थे। किशिदा हिरोशिमा से तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। वह 1993 में पहली बार संसद के लिए निर्वाचित हुए थे। वह परमाणु निरस्त्रीकरण के पैरोकार हैं।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।