मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं, एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी। Read More
मंत्रालय अधिकारियों के अनुसार सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने में 15 साल की अवधि लग जाएगी। हालांकि एनसीईआरटी की ओर से पाठ्यक्रम निर्माण संबंधी कार्य एक साल में पूरा हो जाएगा। जिससे अगले दो सालों में नई शैक्षणिक संरचना संभव हो सकती है। ...
यूजीसी ने उस समय फोर ईयर कोर्स को रोल बैक कर दिया था। उस समय फोर ईयर रोल बैक का कारण वामपंथियों का विरोध था जो आज भी इसे शिक्षा का निजीकरण बता रहे हैं। मेरा मानना है कि यह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में बड़ा कदम है। ...
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर देश में बहस जारी है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाए हैं। शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा है कि इसे पहले संसद में बहस के लिए क्यों नहीं लाया गया? श ...
नई शिक्षा नीति का सबसे पहले तो इसलिए स्वागत है कि उसमें मानव-संसाधन मंत्नालय को शिक्षा मंत्नालय नाम दे दिया गया. मनुष्य को ‘संसाधन’ कहना तो शुद्ध बेवकूफी थी. नरेंद्र मोदी सरकार को बधाई कि उसने इस मंत्नालय का खोया नाम लौटा दिया.पिछले 73 वर्षो में भार ...
दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को नई शिक्षा नीति की खामियों पर खुलकर अपनी बात सामने रखी और बताया कि इसके साथ 2 मुद्दे हैं। ...
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने नई शिक्षा नीति 2020 को बुधवार को मंजूरी दे दी है। देश को 34 साल बाद मिली नई शिक्षा नीति में पढ़ाई के साथ-साथ स्किल पर जोर दिया गया है। इसमें मोदी सरकार के उस सपने को साकार किया गया है जिसमें छात्रों को एक हाथ में डिग्री और दूसर ...