महाकुंभ या कुंभ मेला हर 12 वर्षों में चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक पर आयोजित किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं और राक्षसों का युद्ध 12 दिनों तक चला था। स्वर्ग का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के समान होता है। इसलिए महाकुंभ 12 वर्षों में चार बार किया जाता है।आदि शंकराचार्य द्वारा पहली इस महा उत्सव की शुरुआत की गई थी। उन्होंने ही चार मुख्य तीर्थों को कुंभ मेले के चार पीठ के रूप में स्थापित कराया था। कुंभ मेले के दौरान देश दुनिया से दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। सभी का एक ही मकसद होता है पवित्र स्नान में डुबकी लगाना। मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान करने से पिछले और इस जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं। Read More
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, मोदी और शाह ने अखाड़ा परिषद के सभी पदाधिकारियों के साथ संगम में स्नान किया, यह अच्छी बात है। संगम स्नान से वह पुण्य के भागी बनेंगे और उनकी मनोकामना पूर्ण होगी। ...
प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर तीसरे शाही स्नान के लिए रविवार को करीब डेढ़ करोड़ लोग इकट्ठा हुए। वहीं सर्द मौसम भी भक्तों की भक्ति को कम नहीं कर पाया। ...
इस साधु है कि वह पिछले आठ साल से इसी मुद्रा में खड़े है। वर्ष 2011 से उनकी इस मुद्रा का उद्देश्य विश्व शांति है। महंत राधे पुरी ने कहा कि यह एक तरह की तपस्या है। ...
नागा साधुओं को भगवान शिव के सच्चे भक्त के रूप में संबोधित किया जाता है। ये साधु कुंभ मेले के दौरान भारी संख्या में दिखते हैं। कड़ाके की ठंड में ये साधु निर्वस्त्र घूमते हैं। ...
मौनी अमावस्या के दिन सुबह देर तक रहने से अशुभ प्रभाव होते हैं। इसदिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद पूजा-पाठ आदि कर्म भी करने चाहिए। ...