जाति जनगणना की मांग - या जातियों की वैज्ञानिक गणना आखिरी बार 1931 में की गई थी। साल 1941 में (तत्कालीन देशी रियासत ग्वालियर) जनगणना के समय जाति आधारित डेटा जुटाया जरूर गया था, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया। वहीं साल 1951 से 2011 तक की हुई जाति जनगणना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को छोड़कर जनगणना जाति के आधार पर नहीं हुई। यानी इनमें ओबीसी और दूसरी जातियों का डेटा नहीं दिया गया।इसी बीच साल 1990 में केंद्र की तत्कालीन विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग (मंडल आयोग) की एक सिफारिश को लागू किया। जिसके आधार पर 1992 में पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। इसके बाद कई बार जाति जनगणना की मांग उठती रही क्योंकि जानकारों का मानना है कि भारत में ओबीसी आबादी कितनी प्रतिशत है, इसका कोई ठोस प्रमाण फिलहाल नहीं है।जाति जनगणना की मांग क्यों? जाति जनगणना इसपर आधारित है कि सरकार को सामाजिक न्याय को फिर से लागू करने में मदद करेगी और ऐसे जाति समूहों की पहचान करने में सहायक होगी जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है या कम है। Read More
Karnataka Caste Survey: सुधा मूर्ति, उनके निजी सहायक और इंफोसिस के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगने के लिए भेजे गए संदेशों और फोन कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। ...
Karnataka: अधिकारियों के अनुसार, 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला यह सर्वेक्षण "वैज्ञानिक तरीके से" किया जाएगा और इसके लिए 60 प्रश्नों की प्रश्नावली तैयार की जाएगी। ...
भागीदारी न्याय महासम्मेलन में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, "यह मेरी गलती है, कांग्रेस की नहीं कि हम पहले जाति जनगणना नहीं करा पाए; मैं अब इसे ठीक करने जा रहा हूँ।" ...
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत भाजपा के शीर्ष नेता शामिल रहे। ...
Rahul Gandhi On Caste Census: यह कवायद संसद में चर्चा के बाद शुरू की गई, जब हिंदी पट्टी के समाजवादी दलों - राजद, जद (यू) और सपा - ने इसकी मांग की, जिससे कांग्रेस अचंभित हो गई। ...
Caste Census: विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की राजनीति को प्रभावित करेगा। ...