आर्टिकल 370 के प्रावधान के तहत जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इसके अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित कोई भी प्रस्ताव, नियम या नीति में बदलाव जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता। जम्मू कश्मीर राज्य का अपना संविधान और झंडा है। देश में घोषित आपातकाल या आर्थिक आपातकाल कश्मीर में लागू नहीं होता। भारत की संसद जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग नहीं कर सकती। अनुसूचित जाति और अनिसूचित जनजाति सम्बंधी नियम जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते। Read More
अधिकारियों ने कहा कि ये महज ‘‘खुद से लगाई गईं’’ पाबंदियां थीं। अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को केंद्र सरकार द्वारा पांच अगस्त को खत्म करने की घोषणा के बाद पूर्व मंत्रियों और विधायकों सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। ...
कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री गुलाम मोहम्मद सरूरी के भाई शफी सरूरी ने एक बयान में आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का मकसद उनकी तथा उनके परिवार की छवि खराब करना है। ...
72 वर्षीय राज्यसभा सदस्य ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी हमेशा कहते थे कि कश्मीर समस्या का हल जम्हूरियत (लोकतंत्र), कश्मीरियत और इंसानियत से मिल सकता है। लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इन तीनों सिद्धांत ...
उन्होंने कहा कि ढील को धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है और इस हद तक बढ़ाया गया है कि अब लगभग पूरा राज्य पाबंदियों से मुक्त है। उन्होंने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर में आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं है, नागरिक, बाहरी लोग, पत्रकार और अन्य सभी यहां आ जा सकते हैं। यह भ ...
डोभाल ने आज रियाद में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। क्राउन प्रिंस ने जम्मू-कश्मीर में भारत के दृष्टिकोण और कार्यों के बारे में समझ व्यक्त की। ...
पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से घाटी में जनजीवन प्रभावित है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर में हंदवारा और कुपवाड़ा इलाकों को छोड़कर कश्मीर में मोबाइल सेवाएं बंद हैं, जबकि घाटी में सभी जगह इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। ...
चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक, राज्य में 310 बीडीसी के लिए मतदान पार्टी लाइन पर होंगें। हालांकि सवाल ये है कि यह कैसे संभव होगा जबकि कश्मीर में लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता 5 अगस्त से ही हिरासत में हैं। ...
एक सुरक्षाधिकारी का कहना है, 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले तथा कॉलेज के छात्र अक्सर पत्थरबाजी में लिप्त होते हैं और अगर उन्हें घरों से निकलने की अनुमति दी गई तो कश्मीर में पत्थरबाजी फिर से तेजी पकड़ लेगी। ...