अनुच्छेद 370ः गांधी जयंती पर श्रीनगर में सुबह कुछ दुकानें खुलीं, लगातार 59वें दिन भी बंद रहे मुख्य बाजार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 2, 2019 02:34 PM2019-10-02T14:34:00+5:302019-10-02T14:34:00+5:30
पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से घाटी में जनजीवन प्रभावित है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर में हंदवारा और कुपवाड़ा इलाकों को छोड़कर कश्मीर में मोबाइल सेवाएं बंद हैं, जबकि घाटी में सभी जगह इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।
श्रीनगर में बुधवार सुबह कुछ दुकानें खुली रहीं, हालांकि समूची कश्मीर घाटी में मुख्य बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान लगातार 59वें दिन भी बंद रहे।
पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से घाटी में जनजीवन प्रभावित है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर में हंदवारा और कुपवाड़ा इलाकों को छोड़कर कश्मीर में मोबाइल सेवाएं बंद हैं, जबकि घाटी में सभी जगह इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका है कि घाटी में हिंसा भड़काने के लिये राष्ट्रविरोधी तत्व मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन सेवाओं को बहाल करने पर फैसला हालात के आकलन के बाद उचित समय पर किया जायेगा।
अधिकारियों ने बताया कि घाटी में कहीं कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये संवेदनशील जगहों पर काफी तादाद में सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। अधिकारियों ने बताया कि समूची घाटी में मुख्य बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बुधवार को भी बंद रहे।
हालांकि पिछले कुछ सप्ताह से शहर में कुछ दुकानें सुबह 7:30 बजे से 10:30 बजे तक खुल रही थीं, जो बुधवार को सुबह 11 बजे तक खुली रहीं। उन्होंने बताया कि राज्य में लगातार 59वें दिन भी सार्वजनिक परिवहन सड़कों पर नदारद रहे।
हालांकि कुछ इलाकों में निजी कारों, कैब तथा ऑटो रिक्शा को भी चलते हुए देखा गया। शीर्ष स्तर और दूसरा स्थान रखने वाले अधिकतर अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में रखा गया है या नजरबंद किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रीनगर से मौजूदा लोकसभा सांसद फारुक अब्दुल्ला को लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
जम्मू कश्मीर में 144 किशोर हिरासत में लिये गये : रिपोर्ट
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के निरस्त किए जाने के बाद से राज्य में 144 किशोरों को हिरासत में लिया गया है हालांकि 142 नाबालिगों को बाद में रिहा कर दिया गया।
समिति ने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा कि शेष दो किशोरों को किशोर सुधार गृह भेजा गया है। शीर्ष न्यायालय के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिये मामला सामने आने के बाद न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं एनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी को बताया कि उसे उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट मिली है जिसमें नाबालिगों को कथित रूप से हिरासत में लिये जाने के संबंध में बयानों को खारिज किया गया है।
अहमदी ने पीठ से अनुरोध किया कि वह समिति की रिपोर्ट को लेकर जवाब दाखिल करना चाहेंगे, जिस पर पीठ ने उन्हें इसकी अनुमति दे दी और मामले में अगली सुनवाई के लिये दो हफ्ते बाद की तारीख तय की। शीर्ष न्यायालय ने 20 सितंबर को समिति से दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में दिये गये तथ्यों के संबंध में जांच करने का आदेश दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को जब से हटाया है तब से राज्य में नाबालिगों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया।
मुख्य न्यायाधीश अली मोहम्मद माग्रे की अध्यक्षता वाली जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की चार सदस्यीय किशोर न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब शीर्ष न्यायालय के 23 सितंबर के आदेश को उसके संज्ञान में लाया गया है तो संबंधित जांच एजेंसियों से तथ्यों की पुष्टि के लिये तुरंत इस संबंध में बैठक आयोजित की गयी। समिति ने पुलिस एवं अन्य जांच एजेंसियों की ओर से उपलब्ध करायी गयी सूचना का हवाला देते हुए उन मामलों की विस्तृत जानकारी दी जिनके तहत इन किशोरों को हिरासत में लिया गया था।
जम्मू कश्मीर के डीडीपी की ओर से समिति को भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘यह कहना उचित होगा कि किसी भी बच्चे को पुलिस प्रशासन ने अवैध रूप से हिरासत में नहीं लिया है क्योंकि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाता है।’’ इसके अनुसार, ‘‘इसलिए याचिका में जिन कथनों का उल्लेख किया गया है वे गलत तरीके से पेश किये गये हैं और ये सुनवाई योग्य नहीं हैं।’’ समिति ने अपनी रिपोर्ट में शीर्ष न्यायालय को बताया कि राज्य में दो किशोर निरीक्षण गृह स्थापित किये गये हैं, एक श्रीनगर के हरवान में और दूसरा जम्मू के आर एस पुरा में।
इसके अनुसार पांच अगस्त के बाद से हरवान के किशोर निरीक्षण गृह में 36 किशोरों को भेजा गया जिनमें से 21 को जमानत दे दी गयी जबकि 15 के संबंध में जांच जारी है। इसके अनुसार पांच अगस्त के बाद से 23 सितंबर तक आर एस पुरा किशोर निरीक्षण गृह भेजे गये 10 किशोरों में से छह को जमानत दे दी गयी है जबकि शेष चार के खिलाफ जांच जारी है।