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Papankusha Ekadashi 2024: नवरात्रि के ठीक बाद आती है पापांकुशा एकादशी, जानें व्रत विधि, पूजा मुहूर्त और कथा

By रुस्तम राणा | Updated: October 12, 2024 15:02 IST

Papankusha Ekadashi 2024: हिन्दू पंचांग अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और वह वैकुंठ धाम प्राप्त करता है।

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Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी व्रत शारदीय नवरात्रि के ठीक बाद रखा जाता है। हिन्दू पंचांग अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और वह वैकुंठ धाम प्राप्त करता है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी मनुष्य पापांकुशा एकादशी का व्रत रखता है उसे सिर्फ फलाहार करना चाहिए। इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर, रविवार को रखा जाएगा। 

पापांकुशा एकादशी तिथि एवं पूजा मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार, 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगी और सोमवार 14 अक्टूबर 2024, को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 से दोपहर 12:36 तक रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ होगा। अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि के व्रत पारण किया जाएगा।

पापांकुशा एकादशी व्रत विधि

प्रात: काल स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।पूजा स्थान पर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। एकादशी पर भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें।भगवान विष्णु को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसीदल, फल, मिठाई, सुपारी, लौंग, चंदन, अर्पित करें।श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी की पूजा षोडोपचार से पूजा करें।धूप-दीप जलाकर श्रावण पुत्रदा एकादशी पर की कथा पढ़ें।विष्णु जी के मंत्रों का एक माला जाप करें।अब भगवान विष्णु की आरती करें और गरीबों को सामर्थ्य अनुसार दान करें।अगले दिन द्वादशी पर विधि पूर्वक पूजा-पाठ कर व्रत का पारण करें।

पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर एक क्रूर बहेलियां रहता था। उसने अपनी सारी जिंदगी हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति में व्यतीत कर दी थी। जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है हम तुम्हें कल लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा। महर्षि अंगिरा ने बहेलिये से प्रसन्न होकर कहा कि तुम अगले दिन ही आने वाली आश्विन शुक्ल एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करना। बहेलिये ने महर्षि अंगिरा के बताए हुए विधान से विधि पूर्वक पापांकुशा एकादशी का व्रत करा और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया। जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए। 

पापांकुशा एकादशी व्रत में इन बातों का रखें ध्यान

शास्त्रों में बताया गया है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वालों को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें दशहरे वाले दिन दशमी को गेंहू, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल, और मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस एकादशी के व्रत में अन्न वर्जित माना गया है। पापकुंशी एकादशी के व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है और रात्रि जागरण करते समय भगवान विष्णु के भजन-पूजन में लीन रहना चाहिए। साथ ही साथ रात में भगवान विष्णु की मूर्ति के समीप ही सोना चाहिए। इसके अगले दिन द्वादशी तिथि को सुबह ब्रह्म मुहूर्त स्नान करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्माणों को अन्नदान व दक्षिणा देकर व्रत का समामन करना चाहिए। 

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