Ganpati Visarjan 2025: भारत के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक, गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश की भव्य विदाई के साथ संपन्न होती है, जिसे गणपति विसर्जन के रूप में जाना जाता है। 2025 में, भगवान गणेश के आगमन का उत्सव 27 अगस्त भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से शुरू होगा और दस दिवसीय उत्सव का समापन 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के पावन दिन विसर्जन समारोहों के साथ होगा।
गणपति विसर्जन का महत्व
गणपति विसर्जन, जिसे 'निमज्जन' भी कहते हैं, यह दर्शाता है कि हर चीज़ का एक अंत होता है और यह प्रकृति के चक्रीय स्वभाव का प्रतीक है। यह माना जाता है कि विसर्जन के दौरान, भगवान गणेश अपनी मां, देवी पार्वती, के पास कैलाश पर्वत पर लौट जाते हैं। भक्त अगले साल फिर से उनके स्वागत के लिए तैयार रहते हैं।
विसर्जन की संभावित तिथियाँ
भक्त अपनी सुविधा और परंपरा के अनुसार विभिन्न दिनों में गणपति विसर्जन कर सकते हैं:
तुरंत विसर्जन (चतुर्थी के दिन) — 27 अगस्त
डेढ़ दिन बाद (1.5 दिन) — 28 अगस्त
3rd day — 29 अगस्त
5th day — 31 अगस्त
7th day — 2 सितंबर
मुख्य विसर्जन (अनंत चतुर्दशी) — 6 सितंबर
शुभ मुहूर्त (चौघड़िया) — प्रतिदिन के प्रमुख समय
6 सितंबर (अनंत चतुर्दशी — मुख्य विसर्जन)
सुबह (शुभ) — 07:36 AM से 09:10 AM
अपराह्न (चर, लाभ, अमृत) — 12:19 PM से 05:02 PM
सायाह्न (लाभ) — 06:37 PM से 08:02 PM
रात्रि (शुभ, अमृत, चर) — 09:28 PM से 01:45 AM (7 सितंबर तक)
उषाकाल (लाभ) — 04:36 AM से 06:02 AM (7 सितंबर)
28 अगस्त (डेढ़ दिन बाद)
प्रातः (चर, लाभ, अमृत) — 12:22 PM से 03:35 PM
अपराह्न (शुभ) — 05:11 PM से 06:47 PM
सायाह्न (अमृत, चर) — 06:47 PM से 09:35 PM
रात्रि (लाभ) — 12:22 AM से 01:46 AM (29 अगस्त)
उषाकाल — 03:10 AM से 05:58 AM (29 अगस्त)
अन्य दिन और इनके मुहूर्त
अगर आप 29, 31 अगस्त या 2 सितंबर को विसर्जन करना चाहते हैं, तो कृपया उस दिन का पंचांग देखना सर्वश्रेष्ठ होगा, क्योंकि हर दिन के लिए विशेष मुहूर्त होते हैं।
प्रमुख विसर्जन स्थल और उत्सव
मुंबई: मुंबई में, गिरगांव चौपाटी, जुहू बीच और वर्सोवा बीच जैसे प्रमुख विसर्जन स्थलों पर लाखों लोग गणपति बप्पा को विदाई देने के लिए उमड़ते हैं। लालबागचा राजा और गणपति पुणे के विसर्जन जुलूस विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
पुणे: पुणे में, पारंपरिक रूप से सम्मानित गणपति मंडल जैसे कि कसबा गणपति, ताम्बडी जोगेश्वरी, गुरुजी तालीम, तुलशीबाग और केसरी वाडा गणपति का जुलूस बड़ी धूमधाम से निकाला जाता है।
गणेश चतुर्थी का दस दिवसीय उत्सव भगवान गणेश के विसर्जन के साथ समाप्त होता है, जिसे गणपति विसर्जन कहते हैं। यह पूजा गणेश जी को सम्मानपूर्वक विदाई देने और अगले साल फिर से आने का निमंत्रण देने के लिए की जाती है।
विसर्जन से पहले की पूजा
विसर्जन के दिन, मूर्ति को उठाने से पहले कुछ खास पूजा की जाती है। इस पूजा को उत्तरपूजा कहते हैं। इसका उद्देश्य गणपति को विसर्जन के लिए तैयार करना है।
पूजा सामग्री:
अगरबत्ती, धूप, दीया
मोदक, लड्डू, फल और अन्य मिठाई
फूल और माला
आरती के लिए कपूर
अक्षत (चावल)
लाल कपड़ा
पूजा की विधि:
आरती और प्रार्थना: सबसे पहले, गणेश जी की मूर्ति को अंतिम बार पंचोपचार पूजा (धूप, दीप, नैवेद्य, फूल और जल) और आरती करें। "सुखकर्ता दुखहर्ता" जैसी प्रसिद्ध गणेश आरती गाएं और कपूर जलाएं।
भोग लगाएं: गणपति को उनकी प्रिय मिठाई मोदक और अन्य पकवानों का भोग लगाएं।
क्षमा प्रार्थना: हाथ जोड़कर भगवान गणेश से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
विसर्जन की तैयारी: गणेश जी की मूर्ति को लाल कपड़े में बांधकर या ढककर विसर्जन के लिए तैयार करें।
विसर्जन कैसे करें?
विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पर्यावरण-अनुकूल हो।
पारंपरिक विसर्जन:
नदी या समुद्र में: अगर आप पारंपरिक विधि का पालन कर रहे हैं, तो गणपति की मूर्ति को पूरे सम्मान के साथ पास की किसी नदी, समुद्र या तालाब में विसर्जित करें।
पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन:
कृत्रिम तालाब: कई शहरों में, प्रशासन ने पर्यावरण की रक्षा के लिए कृत्रिम तालाब (इको-पॉन्ड्स) बनाए हैं। इन तालाबों में विसर्जन करना सबसे अच्छा विकल्प है।
घर पर विसर्जन: आजकल, कई लोग घर पर ही पानी के टब या बाल्टी में गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करते हैं। खासकर, अगर मूर्ति मिट्टी से बनी हो तो वह आसानी से घुल जाती है।
विसर्जन के दौरान:
जुलूस: गणपति को विसर्जन के लिए ले जाते समय, भक्त पूरे उत्साह और भक्ति के साथ जुलूस निकालते हैं। ढोल-ताशे बजाए जाते हैं और "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!" का जयघोष किया जाता है।
सुरक्षा: भीड़ वाली जगहों पर विशेष रूप से ध्यान रखें और बच्चों को सुरक्षित रखें।
विसर्जन के बाद क्या करें?
विसर्जन के बाद, घर में वापस आकर हाथ-मुँह धोएं और थोड़ा प्रसाद ग्रहण करें। यह विदाई समारोह को पूरा करता है।
याद रखें, विसर्जन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह इस विश्वास का भी प्रतीक है कि भगवान गणेश हमारे साथ हैं और अगले साल फिर आएंगे। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में हर चीज़ का एक चक्र होता है, और यह चक्र ही हमें आगे बढ़ाता है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत आर्टिकल में मौजूद जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है। सटीक जानकारी के लिए कृपया किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।)