Chaiti Chhath 2024: छठ व्रत साल में दो बार मनाया जाता है। कार्तिक की छठ पूजा की ही तरह चैत्र माह में पड़ने वाले छठ का बहुत महत्व है। मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का ये महापर्व बिहार सहित पूर्वांचल के कई हिस्सों और नेपाल के कई क्षेत्रों में भी मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ माई सूर्य देवता की बहन हैं। इसलिए इन दिनों में सूर्य की उपासना से छठी मईया खुश होती हैं और साधक के घर-परिवार में सुख और शांति प्रदान करती हैं। छठ का महापर्व 4 दिन तक चलता है। चैत्र माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इसकी शुरुआत होती है और समापन सप्तमी को होता है। इस साल चैती छठ 12 अप्रैल 2024 से शुरू होगा और समाप्ति 15 अप्रैल को होगी।
Chaiti Chhath 2024 Date: चैती छठ में नहाय-खाय, खरना, अर्घ्य और पारण की तारीख
12 अप्रैल 2024 - नहाय खाय 13 अप्रैल 2024 - खरना14 अप्रैल 2024 - संध्या अर्घ्य15 अप्रैल 2204 - उदयीमान सूर्य को अर्घ्य
Chaiti Chhath 2024: कैसे करते हैं छठ व्रत
छठ व्रत की पूजा चार दिनों तक होती है। पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। यह कार्तिक या चैत्र के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन होता है। इस दिन व्रती स्नान आदि कर नये वस्त्र धारण करते हैं और भोजन लेते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकि सदस्य भोजन करते हैं।
छठ पूजा के दूसरा दिन को खरना कहा जाता है। इस पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। शाम को चावल और गुड़ से खीर बनाकर खाया जाता है। भोजन में नमक या चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। घी लगी रोटी भी प्रसाद के रूप में खाई और बांटी जाती है।
इसके बाद षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इसमें ठेकुआ विशेष होता है। प्रसाद और फल एक साफ और नये टोकरी में सजाये जाते हैं। टोकरी की पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिये तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।
ऐसे ही अगले दिन सुबह उतते हुए सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है। इस दौरान शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का भी समापन होता है और साधक पारण करते हैं।