देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फीस वृद्धि को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस मामले में जांच के लिए एक तीन सदस्यी हाई लेवल कमेटी बनाई गई थी।
इस कमेटी को छात्र, शिक्षक व विश्वविद्यालय से मिलकर 7 दिन के अंदर मंत्रालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करना था। सूत्रों से मिल रहे जानकारी के मुताबिक, यह अपेक्षित है कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी बीपीएल श्रेणी के छात्रों को उपयोगिता और सेवा शुल्क में 75% रियायतें और शेष को 50% रियायतें दी जाएंगी। इस तरह साफ हो गया है कि यदि ऐसा होता है तो इससे बड़े पैमाने पर छात्र समुदाय लाभ मिलेंगी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस तीन सदस्यी पैनल ने जांच के बाद अपनी सुझाव जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय को ईमेल के माध्यम से भेजा है। इस कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं जो विश्वविद्यालय के सभी छात्रों के चिंताओं को दूर करने में मददगार साबित होगा।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जुंटा) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति से मुलाकात कर छात्रावास शुल्क में की गई वृद्धि को पूरी तरह से वापस लेने और कुलपति को हटाने की मांग की थी। वहीं, विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि विश्वविद्यालय 45 करोड़ रुपये से अधिक घाटे में है और शुल्क बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं हैं साथ ही इस मामले पर झूठ फैलाने का अभियान चलाने का आरोप लगाया था।
इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावास के उन छात्रों की सूची जारी की थी जिनपर करीब 2.79 करोड़ रुपये का बकाया है। जिसके बाद जेएनयू छात्र संघ उपाध्यक्ष साकेत मून ने इसे दबाव बनाने की कोशिश करार दिया था।