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सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना: 9,800 करोड़ रुपये की परियोजना, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, जानें इसके बारे में 5 बातें

By विनीत कुमार | Updated: December 11, 2021 16:13 IST

सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को किया। इसे पूरा करने में करीब 9,800 करोड़ रुपये का खर्च आया है।

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ठळक मुद्देसरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना में पांच नदियों को जोड़ा गया है, 9 जिलो को मिलेगा सिंचाई का पानी।इस परियोजना से क्षेत्र के 6200 से ज्यादा गांव के लगभग 29 लाख किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है।इस परियोजना में पांच नदियों- घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन को जोड़ा गया है।

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का दौरा किया और सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना में पांच नदियों को भी जोड़ा गया है। इससे 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और क्षेत्र के 6200 से ज्यादा गांव के लगभग 29 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा। जानिए इस पूरी परियोजना के बारे में...

1. सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना दरअसल बहराइच, श्रावस्ती एवं बलरामपुर से होकर गोरखपुर तक जाने वाली 318 किलोमीटर लम्बी एवं करीब 9,800 करोड़ रुपये की परियोजना है। इस परियोजना में पांच नदियों- घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन को भी जोड़ा गया है।

2. करीब 318 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर और इससे जुड़ी 6,600 किलोमीटर लिंक नहरों वाली उक्त नहर से पूर्वांचल के नौ जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर और गोरखपुर के लगभग 29 लाख किसानों को लाभ मिल सकेगा।

3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार परियोजना पर काम 1978 में शुरू हुआ था लेकिन दशकों तक यह परियोजना कभी पूरी नहीं हुई। इसे तब दो जिलों के लिए लागू किया जाना था और लागत खर्ज 78.6 करोड़ थी। बाद में इसमें 9 जिले शामिल किए गए। परियोजना का नाम भी बदलकर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना किया गया।

4. प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक परियोजना को पूरा करने के मकसद से वर्ष 2016 में इसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत लाया गया। इसे समय सीमा के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया। पीएमओ ने बताया कि इसे साकार करने के लिए भूमि अधिग्रहण और कानूनी अड़चनों सहित अन्य समस्याओं का समाधान निकाला गया और इसी का परिणाम है कि इस महत्वपूर्ण परियोजना का काम चार वर्षों के भीतर ही पूरा कर लिया गया।

5. पीएमओ के मुताबिक इस परियोजना में देरी की वजह से क्षेत्र के किसानों को भारी नुकसान हुआ लेकिन अब इससे उन्हें लाभ मिलेगा। पीएमओ ने कहा कि अब क्षेत्र के किसान बड़े स्तर पर पैदावार कर सकेंगे और क्षेत्र की कृषि उत्पादक क्षमता का लाभ उठाएंगे।

(भाषा इनपुट)

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