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ऑनलाइन सेवा प्रदाता रक्त नमूना संग्रह को लेकर भ्रमित नहीं कर सकते : दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: October 26, 2021 20:01 IST

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(इंट्रो में सुधार के साथ)

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऑनलाइल सेवा प्रदाताओं को लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए और सही नतीजे के लिए रक्त के नमूने केवल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं ही भेजे जाने चाहिए।

न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की एकल पीठ ने संबंधित अधिकारियों पर अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिका में दावा किया गया है गैर कानूनी तरीके से कोविड-19 जांच के लिए नमूने एकत्र करने वाले ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के खिलाफ कार्रवाई के अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति वजीरी ने कहा, ‘‘चिंता इस बात कि है कि अगर आप दिल्ली के निवासियों के नमूने ले जाते हैं, तो वे मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में ही जाने चाहिए और नतीजे सटीक होने चाहिए।’’ अदालत ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकों को भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए और नमूने उन एजेंसियों द्वारा एकत्र नहीं किया जाना चाहिए जिन्हें इसकी मंजूरी नहीं दी गई है।’’

अदालत ने इससे पहले दिल्ली और हरियाणा पुलिस को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की शिकायत पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब की थी। आप सरकार ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन स्वस्थ्य सेवा प्रदाता बिना लाइसेंस कोविड-19 जांच के लिए नमूने कथित तौर पर एकत्र कर रहे थे।

इसपर हरियाणा पुलिस की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि मामले की जांच और उपलब्ध तथ्यों से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि किसी विशेष ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा प्रदाता पर कार्रवाई करने का कोई मामला नहीं बनता।

हरियाणा पुलिस का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनिल ग्रोवर ने कहा कंपनियों के खिलाफ जांच के लिए हरियाणा के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक द्वारा जांच समिति गठित की गई थी जो इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अभियोजन आरोपों को साबित करने में असफल रहा है।

जब अदालत ने इसपर पूछा कि क्या कंपनी को संबंधित प्राधिकारी से नमूने एकत्र करने की मंजूरी मिली थी तो अधिवक्ता ने कहा, हां उसके पास सबकुछ था।

अदालत ने तब पूछा, ‘‘आपके मुताबिक किसी नागरिक को भ्रमित नहीं किया?’’ इस पर ग्रोवर ने कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं। हमने कई जांच की लेकिन कंपनी के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला।’’

हालांकि, हरियाणा पुलिस की ओर से दाखिल स्थिति रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं थी। इसलिए अदालत ने अधिवक्ता को उसे रिकॉर्ड में दर्ज करवाने का निेर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

वहीं, याचिकाकर्ता डॉ. रोहित जैन का पक्ष रख रहे अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने दावा किया कि हरियाणा के अधिकारियों का बयान गलत और झूठा है।

इससे पहले दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिल्ली पुलिस के आयुक्त और गुरुग्राम पुलिस से एक कंपनी के खिलाफ शिकायत की गई थी जो कोविड-19 नियमों का उल्लंघन कर गैर कानूनी तरीके से आरटी-पीसीआर जांच सहित कोरोना वायरस जांच के लिए नमूने एकत्र कर रही थी।

दिल्ली सरकार ने कहा कि उक्त कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर मरीज की जानकारी साझा कर गोपनीयता और निजता के कानून का भी उल्लंघन किया।

गौरतलब है कि छह अगस्त 2020 को उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन सेवा प्रदाता को नमूने एकत्र करने से रोकने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ इसलिए दिल्ली के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, आईसीएमआर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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