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रोजाना मर रहे हैं कई आतंकी, फिर भी कश्मीरी युवाओं पर है आतंकी बनने का जुनून सवार

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 9, 2021 17:57 IST

ऐसा भी नहीं है कि आतंकवाद की राह को थामने वाले युवकों की घर वापसी की खातिर कोई कदम न उठाया गया हो बल्कि पुलिस ने ऐसे युवकों को घर लौटने पर माफ करने की योजना चला रखी है। परंतु उसका कोई व्याप्क प्रभाव नजर नहीं आया है।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के दुष्प्रचार का शिकार होकर हथियार थाम रहे कश्मीरी युवा।आतंकी बनने वाले युवाओं का इस साल का आंकड़ा 40 को पार कर गया है।

कहते हैं मौत सभी के कदम उस दिशा में बढ़ने से रोक देती है जहां इसका साम्राज्य हो। पर कश्मीर में आतंकवादी बनने की चाहत में कश्मीरी युवक इसको भी नजरअंदाज किए जा रहे हैं। यही कारण था कि इस साल अगर अभी तक सुरक्षाबलों ने 50 के करीब आतंकियों को ढेर किया तो 40 से अधिक स्थानीय युवकों ने हथियार थाम लिए। जबकि 50 से अधिक युवक कश्मीर में इस साल लापता बताए जा रहे हैं।

सुरक्षाबलों के कथित अत्याचारों तथा पाकिस्तान के दुष्प्रचार का शिकार होकर आतंकवाद की राह को थामने वालों का सिलसिला कोई नया तो नहीं है पर दावों के बावजूद इसमें कोई कमी नजर नहीं आ रही है। और इसमें आने वाले दिनों में कोई कमी आने की उम्मीद नहीं है। आधिकारिक तौर पर इस साल अभी तक 40 युवकों ने हथियार थामे हैं और 50 से अधिक लापता हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, यह संख्या अधिक भी हो सकती है। यह आंकड़ा सोशल मीडिया पर आने वाले नामों और हथियारों संग अपलोड की गई फोटो की संख्या पर आधारित है।

उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2010 के आंदोलन में जब सुरक्षाबलों की गोली से 122 से अधिक कश्मीरी मारे गए थे तो तब 54 युवकों ने हथियार उठाए थे। और फिर वर्ष 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्याय बुरहान वानी की मौत के बाद यह सिलसिला अचानक तेज हो गया। नतीजतन 2016 में 88, वर्ष 2017 में 126, 2019 में 191 और इस साल का आंकड़ा 40 को पार कर गया है। इसमें लापता 50 युवकों को शामिल नहीं किया गया है।

सुरक्षाबलांे के कथित अत्याचारों तथा पाकिस्तान के दुष्प्रचार का शिकार होकर हथियार थाम आतंकवाद की राह पर चलने वाले युवकों के प्रति चौंकाने वाले तथ्य यह हैं कि इनमें 14 से 22 साल के युवक सबसे ज्यादा हैं। यही नहीं इस साल अभी तक हथियार उठाने वाले 40 युवकों में 15 युवक बहुत ही ज्यादा पढ़े लिखे थे जिसमें 4 तो पीएचडी कर चुके थे और एक प्रोफेसर के पद था।

केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार प्रदेश के युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा और आतंकी समूहों से दूर रखने के लिए अभियान चला रही है। हालांकि फिर भी युवाओं की आतंकी समूहों में भर्ती जारी है। दूसरी तरफ लाचार परिवार भटके हुए युवाओं से घर वापस लौटने की अपील कर हे हैं। इसी क्रम में राज्य सरकार ऐसे युवाओं को पूरी तरह से क्षमा-दान देने वाली है जो आतंकी संगठनों में शामिल तो हो गए, लेकिन अब वापस लौटना चाहते हैं।

टॅग्स :आतंकवादीजम्मू कश्मीर
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