कोच्चि (केरल), चार जनवरी केरल उच्च न्यायालय ने एक विशेष एनआईए अदालत के आदेश को आंशिक रूप से दरकिनार करते हुए अवैध गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए छात्र थाहा फजल को मिली जमानत सोमवार को रद्द कर दी।
फजल उन दो छात्रों में शामिल है, जिन्हें माओवादियों के साथ कथित संबंध के मामले में यूएपीए के तहत नवंबर 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने फजल को दी गई जमानत रद्द कर दी, लेकिन अल्लान शुहैब की कम उम्र को देखते हुए उसकी जमानत मंजूर कर ली।
अदालत ने फजल को निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
अदालत ने एनआईए की विशेष अदालत को भी एक साल में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया।
यहां एक विशेष अदालत ने पिछले साल सितंबर में फजल और शुहैब की जमानत मंजूर कर ली थी, जिसे एनआईए ने एक याचिका दायर कर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
एनआईए अदालत ने उनकी जमानत मंजूर करते हुए टिप्पणी की थी कि याचिकाकर्ता किसी प्रभावशाली पृष्ठभूमि से संबंध नहीं रखते और वे मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रहते हैं।
उसने कहा था, ‘‘मुझे नहीं लगता कि याचिकाकर्ताओं की जमानत मंजूर करने से न्याय को किसी प्रकार का खतरा होगा।’’
फजल और शुहैब क्रमशः पत्रकारिता और कानून के छात्र हैं। वे माकपा की शाखा समिति के सदस्य हैं। उन्हें दो नवम्बर, 2019 को कोझिकोड से गिरफ्तार किया गया था। वाम शासित राज्य में उनकी गिरफ्तारी की व्यापक आलोचना हुई थी।
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