नई दिल्ली: विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा पांच दलों के नेताओं को भेजे गए निमंत्रण को खारिज किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल द्वारा सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर चर्चा और इसके समाधान के लिए बैठक के आह्वान के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार सुबह बैठक के लिए पांच राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था।
विपक्ष के उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि वे सोमवार सुबह राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल द्वारा बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार की तरफ से कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, भाकपा और माकपा को निमंत्रण भेजा गया है।
यह बैठक सोमवार सुबह 10 बजे बुलाई गई है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि पांच दल जिनके सांसदों को निलंबित किया गया है समूचा विपक्ष नहीं हैं।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोशी को लिखे पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं के बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ''एक ऐसी सरकार का सोमवार सुबह का 'स्टंट' जोकि संसद को संचालित नहीं होने देना चाहती। सरकार ने उन चार दलों के नेताओं को बुलाया है जिनके 12 राज्यसभा सदस्यों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया।''
भाकपा नेता बिनॉय विश्वम ने भी कहा कि विपक्ष 12 सांसदों के निलंबन के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है। उन्होंने कहा कि सत्र के अंत में पांच दलों को चर्चा के लिए बुलाना (एक कदम) विपक्षी एकता को विभाजित करने के लिए है। भाकपा इसमें हिस्सा नहीं लेगी। अंतिम फैसला कल (सोमवार) संयुक्त विपक्ष की बैठक में लिया जाएगा।
ये 12 सांसद कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह, तृणमूल कांग्रेस के डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, माकपा के एलाराम करीम और भाकपा के बिनॉय विश्वम हैं जिनको शीतकालीन सत्र के पहले दिन निलंबित कर दिया गया था।