एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औसतन 14 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। भारत में हर साल दो लाख लोगों को किडनी रोग हो जाता है।
किडनी रोग को लेकर समस्या यह है कि इसके शुरूआती लक्षणों को पकड़ पाना मुश्किल होता है और जब तक पता चलता है, तब 60 फीसदी किडनी खराब हो चुकी होती है। सही समय पर लक्षणों की पहचान करके इसके इलाज में काफी मदद मिल सकती है।
आपको बता दें कि किडनी से जुड़े 350 से भी ज्यादा रोग होते हैं। बेशक किडनी डिजीज के लिए आज दुनिया में कई इलाज मौजूद हैं लेकिन इन पर खर्चा भी ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं की मानें, तो किडनी से जुड़े रोगों के इलाज के लिए आप कुछ जड़ी बूटी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जो काफी कारगर साबित हुई हैं।
पुनर्नवा (Boerhavia diffusa) का पौधा है किडनी के रोगों का इलाजपारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सावधानी से भोजन करने और व्यायाम के साथ जड़ी बूटी का सेवन बीमारी के बढ़ने की गति को धीमी कर सकती है और बीमारी के लक्षणों से निजात दिला सकती है।
वैज्ञानिक अध्ययनों में दावा किया गया है कि पुनर्नवा (Boerhavia diffusa) जैसे पारंपरिक औषधीय पौधे पर आधारित औषधि का फार्मूलेशन किडनी की बीमारी में रोकथाम में कारगर हो सकता है और बीमारी से राहत दिला सकता है।
पुनर्नवा का पौधा किडनी के इलाज में कैसे सहायकएक नए अध्ययन के मुताबिक, किडनी की समस्या से जूझ रही एक महिला को पुनर्नवा से बनाया गया सीरप एक महीने तक दिया गया जिससे उनके रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर स्वस्थ स्तर पर आ गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में किया गया अध्ययन 2017 में वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड फार्मास्युटिकल्स साइंस प्रकाशित हुआ।
पुनर्नवा का पौधे के गुणपुनर्नवा में पुनर्नवीन नामक पौधे में पोटेशियम नाइट्रेट, क्लोरायडम नाइट्रेट और क्लोरेट पाये जाते हैं। इसके अलावा यह सोडियम, प्रोटीन और विटामिन सी का भी भंडार है।
इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी कमल के पत्ते, पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियों सहित पुनर्नवा से बनायी गयी औषधि के प्रभाव का जिक्र किया है। बीएचयू के द्रव्यगुण विभाग के प्रमुख के एन द्विवेदी ने कहा कि नीरी केएफटी (सीरप) में औषधीय फार्मूलेशन कुछ हद तक डायलिसिस का विकल्प हो सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार को मिल रहा है बढ़ावादरअसल, एलौपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित विकल्प होने के कारण आयुर्वेदिक औषधि पर जोर बढ़ रहा है। सर गंगाराम अस्पताल में सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट मनीष मलिक ने कहा कि एलोपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित संभावना है।
उपचार महंगा भी है और पूरी तरह सफल भी नहीं होता। इसलिए, मलिक का कहना है कि पुनर्नवा जैसी जड़ी बूटी पर आधारित नीरी केएफटी की तरह की किफायती आयुर्वेदिक दवा नियमित डायलिसिस करा रहे मरीजों के लिए मददगार हो सकती है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)