Ayurvedic Remedies for Itching: खुजली या एलर्जी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की उन विशेष पदार्थों के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया के कारण होती है जिन्हें शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है। त्वचा की एलर्जी के आयुर्वेदिक उपचार में प्रारंभिक कदम एलर्जी के संपर्क से बचना या उसे सीमित करना है।
आयुर्वेद में सोरायसिस और एक्जिमा जैसे त्वचा संबंधित रोगों के कारण हुई खुजली या कंडु को कम करने के लिए पंचकर्म थेरेपी में से विरेचन (दस्त), वमन (उल्टी) और रक्तमोक्षण (खून निकालने की विधि) का उल्लेख किया गया है।
सोरायसिस के कारण हुई खुजली से राहत पाने के लिए जड़ी बूटियों में निम्बा (नीम), हरिद्रा (हल्दी) और खदिरा के साथ मिश्रण जैसे कि आरोग्यवर्धिनी वटी एवं मंजिष्ठादि क्वाथ की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद मानता है कि क्रोनिक स्किन कंडीशन जैसे कि सोरायसिस, एक्जिमा, पुरानी पित्ती या मुहांसे की वजह आंतरिक कारण होते हैं। रक्त, फेफड़े और यकृत में असंतुलन से उत्पन्न विषाक्त पदार्थ स्किन डिजीज का कारण बनते हैं।
गर्मी और सूर्य की तेज रोशनी के कारण शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। वहीं नमी के कारण स्किन पर जमी मैल और गंदगी भी स्किन इन्फेक्शन की संभावनाओं को बढ़ाते हैं। यही कारण है कि ठंड की बजाय गर्मियों के मौसम में खुजली की समस्या बोहद आम होती है।
वात, पित्त और कफ से खुजली का संबंध
आयुर्वेद मानता है कि शरीर के साथ हमारी त्वचा पर भी वात, पित्त और कफ दोष का बहुत ज्यादा असर पड़ता है। वात त्वचा सूखी, पतली, नाजुक होती है, जो छूने में ठंडी होती है। यह आसानी से निर्जलित यानी डिहाइड्रेट हो सकती है।
वहीं पित्त दोष वाली त्वचा संवेदनशील, मुलायम और गर्म होती है। इस पर झाईयों, मस्सों, चकत्ते, मुंहासे या सनस्पॉट का अधिक प्रभाव पड़ता है। कफ त्वचा तैलीय, मोटी, पीली, मुलायम, ठंडी और सूर्य के प्रति अधिक सहनशील हो सकती है। इसमें मुहांसे और वॉटर रिटेंशन की अधिक प्रवृत्ति हो सकती है।
खुजली दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
एलोवेरा
एलोवेरा एक जादुई जड़ी बूटी है और ये लगभग सभी तरह की त्वचा की समस्याओं में असरदार है। एलोवेरा की एक पत्ती लें,उसको पीसकर और निचोड़कर उसका चिपचिपा जेल निकाल लें,इसे खुजली वाली जगहों पर लगाएं। ऐसा करने से पहले खुजली वाली जगह को अच्छी तरह धो जरूर लें। एलोवेरा जेल को खुजली वाली जगह पर जितनी देर तक रख सकें रखें।उसे ना तो धोएं ना ही पानी के संपर्क में लाएं।
नीम की पत्ती
नीम त्वचा की सूजन और खुजली के इलाज में प्रभावी है। यह खराब कफ और पित्त को संतुलित करता है। यह घमौरियों जैसे त्वचा के संक्रमण के इलाज में सहायक है। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और नल के पानी से धो लें। इस पेस्ट को एक सप्ताह तक रोजाना लगाएं।
लहसुन
लहसुन में भी नारियल तेल जैसे गुण होते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं। लहसुन की कुछ कलियाँ पीस लें और खुजली वाली जगहों पर दिन में दो से तीन बार लगाएं। लहसुन खाने से शरीर की रक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। हालाँकि घर में तैयार होने वाली यह औषधि असर करती है, लेकिन फिर भी अगर आपको अपनी त्वचा रूखी लगे या खुजली वाली जगह पर खून आने लगे तो यह उपचार ना करें। उस सूरत में विकल्प के तौर पर ऐलोवेरा जेल ही लगाएं।
हरिद्रा (हल्दी)
हरिद्रा में जीवाणुरोधी, कैरीमैनेटिव और कृमिनाशक गुण होते हैं। इस हर्ब का उपयोग सोरायसिस, दाद, प्रुरिटस और स्किन एलर्जी के उपचार में किया जाता है। हरिद्रा का इस्तेमाल काढ़े, पाउडर, पेस्ट, लेप के रूप में डॉक्टर की सलाह से कर सकते हैं।
गुलाब जल
गुलाब जल एंटीसेप्टिक, बिटर और एंटी इन्फ्लेमेट्री होता है। गुलाब जल से बना पेस्ट घमौरियों के लिए बढिया घरेलू उपचारों में से एक है। यह स्किन की जलन को शांत करने में मदद करता है। गुलाब जल में ताज़ा गंध भी होती है, जो पसीने के कारण होने वाली दुर्गंध की समस्या से निपटती है।