नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा कि दरों में कमी के जरिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का शुद्ध राजकोषीय प्रभाव वार्षिक आधार पर 48,000 करोड़ रुपये होगा। रिपोर्ट के अनुसार, विकास और उपभोग में वृद्धि को देखते हुए न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ दिन पहले हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय ढांचे से बदल दिया गया है। इसमें 18 प्रतिशत एवं पांच प्रतिशत की मानक दर और कुछ चुनिंदा वस्तुओं तथा सेवाओं पर 40 प्रतिशत की अवगुण दर शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने से लागत दक्षता में सार्थक सुधार के कारण बैंकिंग क्षेत्र पर काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे प्रभावी भारित औसत दर भी 2017 में लागू होने के समय 14.4 प्रतिशत से घटकर 9.5 प्रतिशत हो गई है। जीएसटी लागू में वर्तमान में पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की चार दरें हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि आवश्यक वस्तुओं (लगभग 295) की जीएसटी दर युक्तिकरण 12 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत या शून्य हो गई है।
इसलिए चालू वित्त वर्ष 2025-26 में इस श्रेणी में सीपीआई मुद्रास्फीति भी 0.25 प्रतिशत से 0.30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसमें कहा गया कि कुल मिलाकर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2026-27 तक 0.65 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत अंकों के बीच नियंत्रित रह सकती है।
बाटा ने ग्राहकों को जीएसटी की दर में कटौती का लाभ देना शुरू किया
जूता-चप्पल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बाटा इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने ‘बाटा प्राइस प्रॉमिस’ पहल पेश की है। इसके तहत 22 सितंबर से शुरू होने वाली आधिकारिक पेशकश से पहले 1,000 रुपये से कम कीमत वाले फुटवियर पर जीएसटी दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिलेगा। कंपनी ने बयान में कहा कि इस योजना के तहत, बाटा के बिक्री केंद्रों पर कीमतों में सात प्रतिशत की कटौती की जाएगी और कंपनी इस अंतर को वहन करके खरीदारों को तत्काल बचत का लाभ देगी। जूते-चप्पल पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।
बाटा इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गुंजन शाह ने कहा, ‘‘ बाटा में हमारी प्राथमिकता हर उपभोक्ता के लिए ‘फैशन’ एवं आराम को सुलभ बनाना है। चुनिंदा फुटवियर पर जीएसटी को समाहित करके, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि त्योहारों की खरीदारी जल्दी शुरू हो, अधिक किफायती हो और हमारे ग्राहकों को अधिक खुशी मिले।’’
त्योहारों से पहले 10 प्रतिशत शुल्क कटौती से एसी, टीवी विनिर्माता खुश, कीमतें कम होने की उम्मीद
टिकाऊ उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि जीएसटी दरों में कटौती के बाद 32 इंच से बड़े टीवी सेट की कीमतों में 4,000 रुपये तक की कमी आ सकती है, जबकि रूम एयर कंडीशनर (एसी) की कीमतें सात से आठ प्रतिशत तक घट सकती हैं। उपभोक्ता उपकरण विनिर्माताओं के अनुसार जीएसटी परिषद द्वारा 32 इंच से बड़े टीवी स्क्रीन और रूम एयर-कंडीशनर पर कर दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला न केवल बिक्री बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि इससे ग्राहकों तक उत्पादों की पहुंच (पैठ) बढ़ेगी और स्थानीय निर्माण को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
इस साल असमय बारिश और जल्दी मानसून आने के कारण कमजोर मांग झेलने वाले रूम एयर-कंडीशनर (आएसी) विनिर्माताओं के लिए यह जीएसटी कटौती आगामी त्योहारी सीजन में बेहद जरूरी राहत और बढ़ावा प्रदान करेगी। प्रमुख एयर-कंडीशनर निर्माता वोल्टास ने कहा कि यह कर दरों में संतुलन एक प्रगतिशील कदम है, जो खासकर त्योहारी सीजन के आते ही उपभोक्ता मांग को सार्थक रूप से नया आकार देगा। वोल्टास के प्रबंध निदेशक मुकुंदन मेनन ने कहा, ‘‘इस कदम से पूरे देश में खरीदारी को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
बड़े उपकरण उच्च महत्व वाले उत्पाद होते हैं और यह सुधार ऊर्जा-कुशल समाधानों तक व्यापक पहुंच को समर्थन देगा।’’ उनके मुताबिक, यह सिर्फ त्योहारों की बिक्री के लिए एक अल्पकालिक प्रोत्साहन नहीं है, बल्कि यह बाजार में उत्पादों की गहरी पैठ बनाने के लिए एक उत्प्रेरक है। गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप के अप्लायंसेज कारोबार के प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष (ईवीपी) कमल नंदी ने कहा कि अब रूम एसी लक्जरी वस्तु नहीं रहे हैं और जीएसटी दरों में कमी से ये ग्राहकों के लिए और भी ज्यादा किफायती हो जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘एसी की पहुंच लगभग 10 प्रतिशत है।
जीएसटी दरों में कमी से ये ग्राहकों के लिए ज़्यादा किफायती हो जाएंगे और उम्मीद है कि समय के साथ इन उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी।’’ इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए डाइकिन एयर-कंडीशनिंग इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कंवलजीत जावा ने कहा कि एयर कंडीशनर पर जीएसटी दर में की गई यह कटौती उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी उद्योग के लिए बहुत जरूरी था क्योंकि हम अपने एयर कंडीशनिंग को बढ़ती मध्यम वर्गीय आकांक्षाओं के लिए एक आवश्यकता के रूप में देखते हैं। डाइकिन भारत में विश्वस्तरीय उत्पादों के निर्माण के लिए नवाचार और निवेश जारी रखेगी।’’
उद्योग जगत के जानकारों ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा 32 इंच से ज्यादा स्क्रीन साइज वाले टीवी पर शुल्क 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने के फैसले से 65 इंच से ज्यादा स्क्रीन साइज वाले टीवी की कीमतों में लगभग 4,000 रुपये और 55 इंच स्क्रीन साइज (एक लोकप्रिय श्रेणी) की कीमतों में लगभग 2,500 रुपये की कमी आ सकती है। वहीं 32 इंच तक स्क्रीन साइज वाले टीवी पर पहले से ही 18 प्रतिशत कर लगता है। पैनासोनिक इंडिया के चेयरमैन मनीष शर्मा ने कहा कि बड़े स्क्रीन वाले टीवी पर जीएसटी दर में कटौती से उपभोक्ताओं को सीधा लाभ होगा।
मदर डेयरी जीएसटी कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगी: प्रबंध निदेशक
मदर डेयरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह विभिन्न उत्पादों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगी। मदर डेयरी देश की अग्रणी दुग्ध कंपनियों में से एक है। गत वित्त वर्ष 2024-25 में इसका कारोबार 17,500 करोड़ रुपये रहा था। जीएसटी परिषद के निर्णय पर मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने कहा, ‘‘ हम पनीर, ‘चीज़’, घी, मक्खन, अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (यूएचटी) दूध, दूध आधारित पेय पदार्थ और आइसक्रीम सहित दुग्ध उत्पादों की व्यापक श्रृंखला पर जीएसटी दरों को कम करने के केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना करते हैं।’’
इस कदम से उपभोक्ताओं के लिए मूल्यवर्धित दुग्ध उत्पादों की पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। बंदलिश ने कहा, ‘‘ यह पैकेड श्रेणियों के लिए विशेष रूप से काफी महत्वपूर्ण है, जो भारतीयों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है और भविष्य में इनकी मांग में और तेजी आएगी।’’
उन्होंने आश्वासन दिया कि मदर डेयरी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इस सुधार का लाभ उपभोक्ताओं तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जाए। दुग्ध उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए जीएसटी दरों में कटौती से किसानों के लिए बाजार में बड़े अवसर उत्पन्न होंगे।
जीएसटी दर में कटौती से वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा: मोटर वाहन उद्योग
मोटर वाहन उद्योग ने बृहस्पतिवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की विभिन्न श्रेणियों में मोटर वाहन पर कर दरों में कटौती का फैसला सही समय पर लिया गया है और इससे क्षेत्र को नई गति मिलेगी। उद्योग निकायों ने कहा कि कर ढांचे का सरलीकरण एवं सार्वजनिक परिवहन के लिए कम दरें एक अच्छा कदम है, जिससे सामर्थ्य बढ़ेगा एवं मांग में तेजी आएगी।
साथ ही उन्होंने सरकार के जल्द ही बिना बिके वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर के उपयोग के लिए उपयुक्त तंत्र को अधिसूचित करने की उम्मीद जाहिर की जिससे एक सुचारू एवं प्रभावी बदलाव सुनिश्चित होगा। सोसायटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष शैलेश चंद्र ने कहा कि मोटर वाहन उद्योग वाहनों पर जीएसटी को घटाकर 18 प्रतिशत और 40 प्रतिशत करने के सरकार के फैसले का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ यह समय पर उठाया गया कदम उपभोक्ताओं के लिए नई खुशी लेकर आएगा। साथ ही भारतीय मोटर वाहन क्षेत्र में नई गति लाएगा।’’
चंद्रा ने यह भी कहा कि मोटर वाहन उद्योग को ‘‘ विश्वास है कि सरकार शीघ्र ही बिना बिके वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर के उपयोग के लिए उपयुक्त तंत्र को अधिसूचित करेगी, जिससे सुचारू एवं प्रभावी परिवर्तन सुनिश्चित होगा।’’ फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष सी. एस. विग्नेश्वर ने कहा, ‘‘ साहसिक एवं प्रगतिशील सुधार ’’ कर संरचना को सरल बनाते हैं, जन परिवहन के लिए दरें कम करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक निर्णायक कदम है, जो सामर्थ्य व मांग को बढ़ाएगा और भारत के परिवहन परिवेश को अधिक मजबूत एवं समावेशी बनाएगा।’’
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) ने भी सभी मोटर वाहन घटकों पर एक समान 18 प्रतिशत कर लगाने के फैसले का स्वागत किया। एसीएमए की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, ‘‘ मोटर वाहन घटकों के उद्योग की ओर से, मैं इस ऐतिहासिक सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त करती हूं।
एसीएमए सभी मोटर वाहन घटकों पर जीएसटी की दर को एक समान 18 प्रतिशत करने की काफी समय से मांग कर रहा था। ’’ टीवीएस मोटर कंपनी के चेयरमैन सुदर्शन वेणु ने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती सरकार द्वारा विकास को गति देने के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘ इससे समाज के सभी वर्गों में खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।’’
जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय दर संरचना को बुधवार को मंजूरी दी जो 22 सितंबर से लागू होगी। इसके तहत 1,200 सीसी से कम और 4,000 मिलीमीटर से अधिक लंबाई वाले पेट्रोल, एलपीजी और सीएनजी वाहन और 1,500 सीसी और 4,000 मिलीमीटर तक की लंबाई वाले डीजल वाहन 18 प्रतिशत की दर पर आ जाएंगे।
इससे पहले, इन दोनों श्रेणियों पर क्रमशः एक प्रतिशत क्षतिपूर्ति उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी और तीन प्रतिशत क्षतिपूर्ति उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी लगता था। वहीं 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि पहले यह 28 प्रतिशत था।
इसके अलावा 1,200 सीसी से अधिक और 4,000 मिलीमीटर से अधिक लंबी सभी गाड़ियों, साथ ही 350 सीसी से अधिक की मोटरसाइकिल एवं रेसिंग कारों पर 40 प्रतिशत शुल्क लगेगा। छोटी हाइब्रिड कारों को भी लाभ होगा जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच प्रतिशत शुल्क जारी रहेगा।
जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से केरल को सालाना 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा: मंत्री
केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें कम किए जाने से राज्य के राजस्व को सालाना 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य जीएसटी दरों में कटौती का समर्थन करता है, जिससे कीमतें कम होंगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दरों में कटौती का लाभ आम लोगों तक पहुंचे। बुधवार को जीएसटी परिषद ने मौजूदा चार स्लैब 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्थान पर केवल दो दरों 5 और 18 फीसद को बरकरार रखने को मंजूरी दी। राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन बालगोपाल ने कहा कि राज्यों को मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन जीएसटी परिषद की बैठक में इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती से केरल को सालाना 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।
बालगोपाल के अनुसार चार क्षेत्रों सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और बीमा से सालाना 2,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। व्यक्तिगत उपयोग की लगभग सभी वस्तुओं और मध्यम वर्ग के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे एसी और वाशिंग मशीन पर जीएसटी दरों में कटौती की जाएगी।
व्यक्तिगत जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा (फैमिली फ्लोटर समेत) पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को भी जीएसटी से छूट दी गई है। बुधवार को, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए और किसी भी राज्य के साथ कोई असहमति नहीं थी। राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने बुधवार को कहा कि कर दरों को युक्तिसंगत बनाने से 48,000 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
जीएसटी दर बढ़ने से पेट्रोलियम खोज एवं उत्पादन हो जाएगा महंगा
जीएसटी परिषद के फैसले के बाद देश में तेल और गैस की खोज एवं उत्पादन महंगा हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि इस क्षेत्र में प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर कर की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। जीएसटी परिषद की बुधवार को हुई बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई। नई दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी।
एक आधिकारिक नोट के मुताबिक, पेट्रोलियम कच्चे तेल या प्राकृतिक गैस की खोज, खनन अथवा ड्रिलिंग से संबंधित सेवाओं पर अब माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 18 प्रतिशत की दर से लगेगा और इसके साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) भी मिलेगा। यही व्यवस्था इस क्षेत्र की सहयोगी सेवाओं के लिए भी होगी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘‘कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के जीएसटी के दायरे से बाहर होने के कारण इनकी बिक्री पर टैक्स ऑफसेट उपलब्ध नहीं होगा। कंपनियां उत्पादन पर दिए गए अतिरिक्त जीएसटी को बिक्री के समय समायोजित नहीं कर पाएंगी जिससे उनके लिए फंसे हुए कर की स्थिति पैदा होगी।’’
उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2025 से वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और ओपेकप्लस द्वारा उत्पादन कटौती में ढील देने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल एवं गैस के दाम काफी घट गए हैं। ऐसे में उत्पादन लागत बढ़ने और दामों में कमी आने से पेट्रोलियम खोज एवं उत्पादन क्षेत्र के लिए दोहरी चुनौती पैदा होगी।
चॉइस इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के धवल पोपट ने कहा कि तेल और गैस की खोज, उत्पादन और पाइपलाइन सेवाओं पर जीएसटी दर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने से परिचालन लागत बढ़ेगी और पेट्रोलियम कंपनियों का मुनाफा घटेगा। उन्होंने कहा कि अधिक जीएसटी दर से खोज एवं उत्पादन परियोजनाएं प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगी जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात निर्भरता घटाने के प्रयासों को झटका लगेगा।