भाजपा को पिछले दो दशकों के चुनावी गणित से एक बात समझ में आ गई है कि आक्रामक हिंदुत्व की सीमा है और इस सीमा का अतिक्रमण महंगा पड़ता है क्योंकि हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग मूलरूप से उदारवादी है. यही वजह है कि राम मंदिर आंदोलन, जिसकी परिणति 6 दिसंबर, 199
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दरअसल ये चुनावी गणित के सवाल हैं, देश को पटरी पर लाने का रास्ता नहीं है. किसानों का कुल कर्ज बारह लाख करोड़ अगर कोई सरकार सत्ता संभालने के लिए या सत्ता में बरकरार रहने के लिए माफ कर भी देतीे है तो क्या वाकई देश पटरी पर लौट आएगा और किसानों की हालत ठीक
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टेलीफोन के विषय में पहले खबरें पढ़ी थीं कि टेलीफोन से विवाह हो चुके हैं- यों प्यार तो होता रहता ही है. क्योंकि फोन पर तकरार, इसरार, सत्कार, उपहार, दिलदार, विस्तार, इनकार, स्वीकार, उस पार, इस पार की बातें होती हैं, प्यार व पारावार की बातें होती हैं. ऐ
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भारत जैसे देश में किसानों की दुर्दशा का मूल कारण यह है कि सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज को गुंजानेवाला कोई नहीं है. वे गरीब हैं, ग्रामीण हैं, अल्प-शिक्षित हैं, प्राय: छोटी जातियों के हैं. उनका कोई ऐसा अखिल भारतीय संगठन नहीं है.
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भारत की तरफ से अपनी सीमा में गलियारा बनाने के काम का शिलान्यास होने के बाद पाकिस्तान की तरफ से शिलान्यास की रस्म अभी पूरी भी नहीं हुई थी, तभी पाकिस्तान ने वही पुरानी पैंतरेबाजी, साजिश शुरू कर दी जैसी कि वह करता आया है.
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यह उम्मीद बेमानी नहीं है कि दुनिया में अब जो करिश्मे होने हैं, उनमें सबसे बड़ी भूमिका साइंस की ही होगी. वैज्ञानिक चमत्कारों का यह सिलसिला काफी पहले शुरू हुआ था और इसकी ताजा कड़ी में चीन में जीन एडिटिंग की मदद से पैदा कराई गई दो जुड़वां बच्चियों का कि
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इस चुनाव में वैसे तो ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में लगभग बराबर मतदान हुआ है, लेकिन किसानों ने जिस उत्साह से मतदान किया है, उससे लगता है कि उनका वोट निर्णायक साबित होगा.
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कश्मीर के सवाल पर पाकिस्तान से ज्यादा भारत को जोर देना चाहिए. उसे पाकिस्तानी कब्जे के कश्मीर को बातचीत का पहला मुद्दा बनाना चाहिए. इमरान ने फ्रांस और जर्मनी की मिसाल देकर दोस्ती का जो हाथ बढ़ाया है, वह आज नहीं तो कल तो होना ही है.
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