एनके सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को जातिवादी बताने के पीछे ये है भाजपा की रणनीति

By एनके सिंह | Published: December 1, 2018 11:38 AM2018-12-01T11:38:56+5:302018-12-01T11:38:56+5:30

भाजपा को पिछले दो दशकों के चुनावी गणित से एक बात समझ में आ गई है कि आक्रामक हिंदुत्व की सीमा है और इस सीमा का अतिक्रमण महंगा पड़ता है क्योंकि हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग मूलरूप से उदारवादी है. यही वजह है कि राम मंदिर आंदोलन, जिसकी परिणति 6 दिसंबर, 1992 के दिन अयोध्या में विवादस्पद ढांचा गिराने में हुई, के बाद से सन 2014 के आम चुनाव के पहले तक कभी भी इस पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा मत नहीं मिले.

NK Singh's blog: BJP's strategy behind telling Congress a casteist | एनके सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को जातिवादी बताने के पीछे ये है भाजपा की रणनीति

एनके सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को जातिवादी बताने के पीछे ये है भाजपा की रणनीति

पिछले कई दशकों से कांग्रेस पर छद्म धर्मनिरपेक्षता (स्यूडो सेक्युलरिज्म) या मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली भाजपा अचानक पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी को जातिवादी क्यों बताने लगी है? क्यों अचानक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गोत्न पर, उनके परदादा के नाम को लेकर या जनेऊधारी होने पर या उनके हिंदू होने पर सवाल तेज कर दिए गए हैं? दरअसल, यह सब अचानक या बगैर किसी सोची-समझी रणनीति या चुनाव मंचों से होने वाली छींटाकशी का हिस्सा नहीं है. ये सवाल भाजपा की उस प्रति-रणनीति की उपज हैं जो पिछले डेढ़ वर्षो में कांग्रेस की अपनी छवि में परिवर्तन करने के कारण बनाई गई. 

याद होगा कि गुजरात चुनाव से आज तक कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अपनी ‘स्ट्रेटेजी’ में मौलिक परिवर्तन किया है और जिसके तहत ‘दिग्विजय-मणिशंकर ब्रांड’ परंपरागत राजनीति से हट कर इस 133 साल पुराने दल को बदलते माहौल में ढालने की जरूरत महसूस हुई. पार्टी की छवि को उदार हिंदू सांचे में ढालने की योजना बनी ताकि उस वर्ग के नजदीक पहुंचा जा सके जो भावनात्मक मुद्दों का भी तार्किक समाधान चाहता हो, नौकरी की अपेक्षा रखता हो और राजनीतिक विमर्श में भी विकास को अहमियत देता हो. राहुल गांधी का मंदिर -दर्शन, रोजगार के अभाव और भ्रष्टाचार को लेकर राफेल डील में सीधे पार्टी और सरकार के सबसे मकबूल व्यक्ति पर चोट करना इसी रणनीति का हिस्सा है. भाजपा कांग्रेस की इस परिवर्तित शैली से बेहद परेशान है और काट के लिए नई प्रति-रणनीति लेकर आई है. 

भाजपा को पिछले दो दशकों के चुनावी गणित से एक बात समझ में आ गई है कि आक्रामक हिंदुत्व की सीमा है और इस सीमा का अतिक्रमण महंगा पड़ता है क्योंकि हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग मूलरूप से उदारवादी है. यही वजह है कि राम मंदिर आंदोलन, जिसकी परिणति 6 दिसंबर, 1992 के दिन अयोध्या में विवादस्पद ढांचा गिराने में हुई, के बाद से सन 2014 के आम चुनाव के पहले तक कभी भी इस पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा मत नहीं मिले. उदारवादी हिंदू समाज को आक्रामक हिंदुत्व पसंद नहीं है और जब भी प्रतीकों को लेकर एक सीमा से आगे इस आक्र ामकता को बढ़ाया जाता है तो वह या तो कांग्रेस में या जाति वादी दलों की ओर चला जाता है.  

कांग्रेस के रणनीतिकार देर से ही सही, पर समझ गए कि भाजपा की समस्या है कि वह आदतन आक्रामक हिंदुत्व से पूरी तरह हट नहीं सकती. भाजपा की यह कमजोरी कांग्रेस की शक्ति बन सकती है. राहुल गांधी उसी योजना के तहत सभी धर्मस्थलों में जाने का कार्यक्र म रख रहे हैं. चूंकि गैर-कट्टर हिंदूवादी स्पेस खाली है और बढ़ती शिक्षा व तर्कशक्ति के कारण लालू-मुलायम ब्रांड ‘अति-जातिवादी’ राजनीति अब हाशिये पर आती जा रही है, लिहाजा पिछड़ी जातियों का भी एक बड़ा वर्ग नए चेहरे वाली कांग्रेस के साथ कम से कम लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ सकता है. यही समस्या भाजपा को खाये जा रही है. 

Web Title: NK Singh's blog: BJP's strategy behind telling Congress a casteist

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