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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: बढ़ती बेरोजगारी और छात्रों का आक्रोश

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 29, 2022 1:50 PM

यह इसीलिए हुआ कि रेल-विभाग में निकली करीब 35 हजार नौकरियों के लिए सवा करोड़ नौजवानों ने अर्जियां लगाई थीं। उनकी परीक्षा भी हो गई और उसके परिणाम भी 14 जनवरी को आ गए लेकिन उन्हें कहा गया कि अभी उन्हें एक परीक्षा और भी देनी होगी। अगर उसमें वे पास हो गए तो ही उन्हें नौकरी मिलेगी।

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बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने रेल के डिब्बे जला दिए, कई स्टेशनों पर तबाही मचा दी और जगह-जगह तोड़फोड़ कर दी। उन्होंने पिछले दो-तीन दिन से भयंकर उत्पात मचाया हुआ है। पुलिस ने सख्त कार्रवाई भी की है। कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और सैकड़ों छात्रों पर अब मुकदमे भी चलेंगे।

ये सब क्यों हुआ? यह इसीलिए हुआ कि रेल-विभाग में निकली करीब 35 हजार नौकरियों के लिए सवा करोड़ नौजवानों ने अर्जियां लगाई थीं। उनकी परीक्षा भी हो गई और उसके परिणाम भी 14 जनवरी को आ गए लेकिन उन्हें कहा गया कि अभी उन्हें एक परीक्षा और भी देनी होगी। अगर उसमें वे पास हो गए तो ही उन्हें नौकरी मिलेगी।

ये नौकरियां सादी हैं। इनमें तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत नहीं है। इनकी तनख्वाह भी सिर्फ 20 हजार से 35 हजार रु. तक की है। सरकारें यह मान रही हैं कि इन लड़कों को कुछ विपक्षी नेता और सांप्रदायिक तत्व भड़का रहे हैं। यह आरोप ठीक हो सकता है लेकिन वे इसीलिए भड़क रहे हैं कि उनके साथ ज्यादती हो रही है।

आप ही बताइए कि सिर्फ 35 हजार नौकरियों के लिए एक करोड़ लोगों का अर्जी देना किस बात का सूचक है? भारत में चपरासी की दर्जन भर नौकरियों के लिए हजारों अर्जियों के जमा हो जाने का अर्थ आप क्या निकालते हैं? भारत की शिक्षा-व्यवस्था इतनी जजर्र है कि डिग्रियां लेने के बावजूद छात्नों को रोजगार नहीं मिलता।

मध्यम और निम्न वर्ग के परिवारों को इस कोरोना-काल में जैसे अभावों का सामना करना पड़ रहा है, उसने उनके आक्रोश को दुगुना कर दिया है। बिहार और उत्तर प्रदेश के नौजवानों की हालत तो बहुत ही दयनीय है। उनमें से मुश्किल से 25 प्रतिशत नौजवानों को ही रोजगार मिला हुआ है।

लगभग 75 प्रतिशत नौजवान बेकारी और भुखमरी के शिकार हैं। ये बेरोजगार लोग हिंसा और तोड़-फोड़ करें, यह तो ठीक नहीं है लेकिन क्या खाली दिमाग अपने आप शैतान का घर नहीं बन जाता है? प्रादेशिक चुनावों के मौसम में छात्रों की यह बगावत किसी भी सरकार का दम फुलाने के लिए काफी है। रेल मंत्रालय ने जांच कमेटी बिठा दी है। 

हमारी केंद्र सरकार और राज्य सरकारें देशी-विदेशी पूंजीपतियों को भारत में उद्योग-व्यापार के लिए प्रोत्साहित जरूर कर रही हैं लेकिन इस बात पर उनका ध्यान बहुत कम है कि इन काम-धंधों से रोजगार बढ़ेंगे या नहीं। 

भारत को लाखों-करोड़ों लोगों को मध्य एशिया के विशाल क्षेत्रों में रोजगार के अपूर्व अवसर मिल सकते हैं लेकिन यह तभी हो सकता है जब हमारे नेताओं और नौकरशाहों को इन क्षेत्रों में दबे यूरेनियम, लोहे, तांबे, गैस और तेल के भंडारों के बारे में पूरी जानकारी हो।

टॅग्स :रेलवे ग्रुप डीRailwaysबेरोजगारी
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