लाइव न्यूज़ :

इलेक्ट्रिक वाहन अपनाना ही एकमात्र विकल्प 

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: October 6, 2018 21:20 IST

कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे की जरूरत का हवाला देते हुए सरकार तेल के मूल्य को नियंत्रित करने से बचती है। इसलिए लोगों के लिए पेट्रोल के विकल्प की तलाश करना जरूरी हो गया है।

Open in App

डॉ. एस. एस. मंठा

कई वर्ष पूर्व इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि और वाहनों की बिक्री के बीच एक सीमा तक कोई संबंध नहीं होता। यह तब की बात है जब मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80 रु. प्रति लीटर और डीजल की 76 रु. प्रति लीटर थी। आज पेट्रोल की कीमत कई स्थानों पर 90 रु. को पार कर चुकी है और डीजल भी उससे ज्यादा पीछे नहीं है। पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतें दुनिया भर में सबसे ज्यादा भारत में ही हैं, जिसमें आधे से भी ज्यादा हिस्सा सरकार की तिजोरी में जाता है। तेल की बढ़ती कीमतों का असर फिलहाल तो वाहनों की बिक्री पर पड़ता नहीं दिख रहा है, लेकिन भविष्य में भी यह असर नहीं पड़ेगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता। इसलिए सरकार के लिए वैकल्पिक स्थिति पर विचार करना जरूरी है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए भी सरकार के लिए विद्युतचालित वाहनों को प्रोत्साहन देना जरूरी है।

आर्थिक दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अधिक होता है, जिसमें कृषि, वनसंपदा, मत्स्य पालन और खनन क्षेत्र शामिल हैं। दूसरे क्षेत्र में उत्पादित माल का समावेश है और तीसरा क्षेत्र सेवा क्षेत्र है। प्राथमिक क्षेत्र में 15 प्रतिशत रोजगार, उत्पादन क्षेत्र में 35 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 50 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध है। उत्पादन क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र पर अवलंबित है और देश की जीडीपी उस पर अवलंबित है। उत्पादन क्षेत्र में वाहनों का उत्पादन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कार, दुपहिया, व्यावसायिक वाहनों की मांग बढ़ते ही उनसे संबंधित अन्य क्षेत्रों में भी मांग बढ़ जाती है। हाल के कई वर्षो में वाहन उत्पादन के  क्षेत्र में भारी वृद्धि देखने को मिली है। वर्ष 2017-18 में यह दरवृद्धि 18.3 प्रतिशत थी। देश की जीडीपी में वाहन क्षेत्र का हिस्सा 2.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 15 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लोगों की क्रयशक्ति बढ़ने, बाजार का विस्तार होने और बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि होने से यह क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षक साबित हो रहा है। आर्थिक वर्ष 2017-18 में वाहन उद्योग ने 13.5 बिलियन डॉलर के वाहनों का निर्यात किया था, जबकि वर्ष 2016-17 में यह निर्यात 10.9 बिलियन डॉलर ही था। देश के भीतर भी वाहनों के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है। साल 2020 तक इस क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर तक टर्नओवर पहुंचने का अनुमान है। लेकिन तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपए के गिरने की वजह से इस क्षेत्र का विकास बाधित हो सकता है।

कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे की जरूरत का हवाला देते हुए सरकार तेल के मूल्य को नियंत्रित करने से बचती है। इसलिए लोगों के लिए पेट्रोल के विकल्प की तलाश करना जरूरी हो गया है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था अगर अच्छी हो तो लोग उसको प्राथमिकता दे सकते हैं अथवा वाहन शेयर करने को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। लेकिन वर्तमान में दुनिया भर में बिजली से चलने वाले वाहनों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। हमारे देश में परिवहन मंत्री तक इसकी वकालत कर चुके हैं। पेरिस करार की अपनी प्रतिबद्धता के चलते सरकार ने 2030 तक बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए योजना तैयार की है। यह वाहन बैटरी से चलेंगे और बैटरी बिजली से चार्ज होगी। बिजली से चलने वाले वाहनों की देखभाल व मरम्मत का खर्च भी कम आता है। 

हमारे देश में वाहन निर्माण करने वाली कई कंपनियों ने बिजली से चलने वाले दुपहिया और चारपहिया वाहनों को बाजार में लाने की शुरुआत की है। इन वाहनों से वायु प्रदूषण में भी कमी आती है। इसलिए नॉव्रे और चीन जैसे देशों ने बड़े पैमाने पर बिजली से चलने वाले वाहनों का निर्माण शुरू किया है। जनवरी 2011 से दिसंबर 2017 के बीच चीन में बिजली से चलने वाले 17 लाख 28 हजार 447 वाहन सड़कों पर उतारे गए। भारत में अभी भी इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। हालांकि इन वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने से वर्तमान रोजगार में कमी आने की संभावना है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में रोजगार बढ़ सकते हैं।

बिजली से चलने वाले वाहनों का निर्माण करने वाली कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू होने पर उत्पादकों के लिए इन वाहनों की कीमत बढ़ाना भी संभव नहीं हो सकेगा। बिजली से चलने वाले वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को अनुदान देने की जरूरत है। इन वाहनों की चाजिर्ग के लिए सुविधाएं निर्मित करने और इन वाहनों के व्यावसायिक निर्माण की ओर प्रमुखता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। शुरुआत में कुछ शहरों में इन वाहनों की खरीद पर आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई जा सकती है। यातायात प्रबंधन के लिए इन वाहनों को हरे रंग की विशेष  नंबर प्लेट दी जा सकती है, ताकि इनकी अलग से ही पहचान की जा सके। 

टॅग्स :इलेक्ट्रिक व्हीकल
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारक्या है पीएम ई-ड्राइव योजना?, 9.6 लाख रुपये तक प्रोत्साहन, कैसे उठाएं फायदा, जानिए नियम

कारोबारElectric vehicle market: 2030 तक 2000000 करोड़ रुपये का बाजार?, नितिन गडकरी ने कहा- 50000000 नौकरियों का सृजन

कारोबारTelangana Government:  बधाई हो, जल्दी कीजिए?, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद और पंजीकरण पर 31 दिसंबर 2026 तक रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत छूट

कारोबारElectric vehicles: सब्सिडी बंद करो, नितिन गडकरी ने कहा- लोग खुद ईवी या सीएनजी वाहन खरीद रहे, जीएसटी कम हो

कारोबारOla Electric motorcycle: एक बार चार्ज करने पर 579 किलोमीटर चलेगी रोडस्टर प्रो, ओला की इस बाइक की खासियत जानिए

भारत अधिक खबरें

भारतजदयू के संपर्क में महागठबंधन के 17-18 विधायक?, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद 'खेला', प्रवक्ता नीरज कुमार का दावा

भारतपीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से बात की, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर की चर्चा

भारतवक्फ दस्तावेजः अपलोड की समयसीमा 1 साल और बढ़ाने की मांग, मंत्री किरेन रीजीजू से मिले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य

भारत14 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस की जनसभा, उप्र कांग्रेस नेताओं के साथ प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल की बैठक

भारतवन और पुलिस विभाग में 3-3 और अन्य विभागों में 2 प्रतिशत आरक्षण लागू, खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने दिया तोहफा