सुरेश पिछले 30 सालों से जम्मू कश्मीर से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। देश के कई प्रतिष्ठित दैनिकों के लिए काम करते रहे हैं। जम्मू कश्मीर से संवाददाता पद पर कार्यरत हैं। वे वास्तु, अंकशास्त्र व ज्योतिष के भी जानकार हैं।Read More
गुलाम नबी आजाद को जम्मू ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता भी अब अपना मसीहा मानने लगी है जिनके प्रति उन्हें आस है कि वे उन्हें अंधेरी सुरंग से निकाल कर उजियारे में ले जाएंगे और यही प्यार, आश्वासन और चाहत आतंकी गुटों को अखरने लगी है। ...
कांग्रेस छोड़ने के बाद नई पार्टी की घोषणा करने से पहले गुलाम नबी आजाद विभिन्न जिलों में जाकर वहां के प्रतिनिधिमंडलों से मिलकर उनसे जमीनी हकीकत को जानने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे पार्टी की घोषणा के साथ मुख्य मुद्दों को भी लोगों के समक्ष रख सकें। ...
Bus accident in Rajouri: जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में एक बस के सड़क से फिसल कर गहरी खाई में गिर जाने के कारण 6 लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गये हैं। ...
1990 के दशक में आतंकवाद की शुरुआत के दौरान क्षेत्र में प्रशिक्षण को निलंबित कर दिया गया था। अब इसे फिर से शुरू किया गया है। इस बार शिविर में जम्मू कश्मीर के विभिन्न महाविद्यालयों की लड़कियों सहित लगभग 100 एनसीसी कैडेट भाग लेने जा रहे हैं। ...
33 सालों के निर्वासित जीवन यापन के बाद आज भी उन्हें अपने वतन की याद तो सता ही रही है साथ ही रोजी-रोटी तथा अपने भविष्य के लिए कश्मीर ही ठोस हल के रूप में दिख रहा है। लेकिन इस सपने के पूरा होने में सबसे बड़ा रोड़ा यही है कि कश्मीर में अब उनका कोई अपना ...
आपको बता दें कि आमिर माग्रे के परिवार के साथ डा गुल और बिजनेसमेन मुहम्मद अल्ताफ बट के परिवार भी यही चाहते हैं कि मामले की न्यायिक जांच हो ताकि उनके परिजनों पर आतंकी समर्थक या ओजीडब्ल्यू होने का कलंक हट सके। ...
कई सालों से कश्मीर में दशहरा मना कर कश्मीरी पंडितों ने अपने दिलों में रुके पड़े सैलाब को तो बाहर निकाल दिया पर ये सब वे अपनी जन्मभूमि में वहां के वाशिंदे बन कर नहीं बल्कि ‘पर्यटक’ बन कर ही कर पा रहे थे। ...
जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ जिलों में मक्का मुख्य खाद्य फसल है, जिसे मई में बोया जाता है और अक्तूबर में इसकी कटाई होती है। इस फसल के कारण सुरक्षाबलों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ...