Jammu & Kashmir: धारा 370 हटने के बाद कश्मीर लौटे 520 कश्मीरी पंडित, जबकि 33 सालों में सिर्फ 3800

By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 13, 2022 04:57 PM2022-09-13T16:57:16+5:302022-09-13T16:57:16+5:30

33 सालों के निर्वासित जीवन यापन के बाद आज भी उन्हें अपने वतन की याद तो सता ही रही है साथ ही रोजी-रोटी तथा अपने भविष्य के लिए कश्मीर ही ठोस हल के रूप में दिख रहा है। लेकिन इस सपने के पूरा होने में सबसे बड़ा रोड़ा यही है कि कश्मीर में अब उनका कोई अपना नहीं है।

Jammu & Kashmir 520 Kashmiri Pandits return to Kashmir after the abrogation of Article 370, whereas in 33 years only 3800 | Jammu & Kashmir: धारा 370 हटने के बाद कश्मीर लौटे 520 कश्मीरी पंडित, जबकि 33 सालों में सिर्फ 3800

Jammu & Kashmir: धारा 370 हटने के बाद कश्मीर लौटे 520 कश्मीरी पंडित, जबकि 33 सालों में सिर्फ 3800

Highlightsसरकारी दावा- 520 कश्मीरी पंडित धारा 370 की समाप्ति के बाद कश्मीर लौटे 33 वर्षों में अब तक कुल 3800 कश्मीरी पंडित ही कश्मीर लौट पाए कई कश्मीरी पंडित परिवार आज भी कश्मीर वापसी का सपना आंखों में संजोए हुए हैं

जम्मू: कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन किए हुए 33 साल पूरे हो चुके हैं। घर वापसी की इच्छा पाले कश्मीरी पंडित परिवारों की घर वापसी की कोशिशों को आतंकी लगातार नेस्तनाबूद करते रहे हैं। हालांकि पिछले 15 सालों में मात्र 3800 कश्मीरी पंडित कश्मीर लौटे तो सही, पर वे सरकारी कर्मचारी बन कर। ऐसा भी नहीं है कि 33 साल पहले अपने घरों का त्याग करने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के लाखों लोगों में से चाहे कुछेक कश्मीर वापस लौटने के इच्छुक नहीं होंगें मगर यह सच्चाई है कि आज भी अधिकतर वापस लौटना चाहता है। इन 33 सालों के निर्वासित जीवन यापन के बाद आज भी उन्हें अपने वतन की याद तो सता ही रही है साथ ही रोजी-रोटी तथा अपने भविष्य के लिए कश्मीर ही ठोस हल के रूप में दिख रहा है। लेकिन इस सपने के पूरा होने में सबसे बड़ा रोड़ा यही है कि कश्मीर में अब उनका कोई अपना नहीं है।

वर्ष 1990 में 19 जनवरी के दिन कश्मीर से जब हिन्दुओं का पलायन आरंभ हुआ तो अगले कुछ ही हफ्तों में, सरकारी अंकड़ों के मुताबिक, 39782 परिवार जम्मू समेत देश के विभिन भागों में शरणार्थी के तौर पर रहने लगे। आधिकारिक आंकड़ों के ही अनुसार, तब करीब 4385 मुस्लिम व सिख परिवारों ने भी कश्मीर का त्याग किया था। इन 33 सालों में तत्कालीन सरकारों की वे कोशिशें हमेशा मुंह के बल ही गिरी जिनके तहत वे कश्मीरी पंडित परिवारों को कश्मीर लौटाना चाहते थे। करोड़ों रूपया भी खर्च किया गया पर हर बार आतंकी हिंसा, हमले, नरसंहारों, आतंकी धमकियों और चेतावनियों ने सबके कदमों को रोक दिया।

हालांकि वर्ष 2008 और 2015 में केंद्र सरकर की प्रोत्साहन स्कीमों के तहत कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर में सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाना आरंभ हुआ तो अभी तक कुल 3800 कश्मीरी पंडित ही कश्मीर लौट पाए हैं। सरकारी दावा है कि इनमें से 520 कश्मीरी पंडित धारा 370 की समाप्ति के बाद लौटे हैं और करीब 2000 अगले कुछ दिनों में लौट सकते हैं। बाकी कब लौटेंगें कोई नहीं जानता। इतना जरूर है कि इक्का दुक्का कश्मीरी पंडित परिवारों का कश्मीर वापस लौटना भी जारी है। मगर उनमें से कुछेक कुछ ही दिनों या हफ्तों के बाद वापस इसलिए लौट आए क्योंकि अगर आतंकी उन्हें अपने हमलों का निशाना बनाने से नहीं छोड़ते वहीं कईयों को अपने ‘लालची’ पड़ौसियों के ‘अत्याचारों’ से तंग आकर भी भागना पड़ा था।

कश्मीर वापस लौटने की इच्छा रखने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए यह सबसे अधिक कष्टदायक अनुभव था कि वे उस कश्मीर घाटी में लौटने की आस रख कर आंखों में सपना संजोए हुए हैं जहां अब उनका कोई अपना नहीं है। हालांकि यह बात अलग है कि राज्य सरकार सामूहिक आवास का प्रबंध कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भिजवाने की तैयारियों में जुटी है। माना कि कुछ कश्मीरी पंडित परिवारों का कश्मीर वापसी का अनुभव बुरा रहा हो या फिर शाम लाल धर जैसे लोग कश्मीर वापसी से इतराने लगे हों मगर यह सच्चाई है कि इन अनुभवों के बाद भी कई कश्मीरी पंडित परिवार आज भी कश्मीर वापसी का सपना आंखों में संजोए हुए हैं।

Web Title: Jammu & Kashmir 520 Kashmiri Pandits return to Kashmir after the abrogation of Article 370, whereas in 33 years only 3800

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