वरिष्ठ पत्रकार। प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता करियर शुरू करने वाले पुण्य प्रसून बाजपेयी 1996 में 'आज तक' से जुड़े। पिछले दो दशकों में पुण्य प्रसून एनडीटीवी, ज़ी न्यूज़, एबीपी न्यूज़ इत्यादि चैनलों में काम कर चुके हैं। पुण्य प्रसून विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित स्तम्भ भी लिखते हैं।Read More
महत्वपूर्ण यह है कि इन सारी संभावनाओं को अपनाना कांग्रेस की मजबूरी भी है और जरूरत भी है क्योंकि राहुल गांधी इस हकीकत को भी समझ रहे हैं कि कांग्रेस को खत्म करने के लिए मोदी-शाह उसी कांग्रेसी रास्ते पर चले जहां निर्णय हाईकमान के हाथ में होता है और हाई ...
तीनों राज्यों में औद्योगिक विकास ठप पड़ा है. तीनों राज्यों में खनिज संसाधनों की लूट चरम पर है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो संघ के स्वयंसेवकों की टोलियों का कब्जा सरकारी संस्थानों से लेकर सिस्टम के हर पुर्जे पर है. ...
ध्यान दें तो कांग्रेस ने अपने घोषणापत्न में जिन मुद्दों को उठाया उसे लागू करना उसकी मजबूरी भी है और देश की जरूरत भी क्योंकि सत्ता ने जिस तरह कॉर्पोरेट की पूंजी पर सियासत की और सत्ता पाने के बाद कॉर्पोरेट मित्नों के मुनाफे के लिए रास्ते खोले वह किसी स ...
कानून का राज खत्म होता है तो कानून के रखवाले भी निशाने पर आ सकते हैं। सिस्टम जब सत्ता की हथेलियों पर नाचने लगता है तो फिर सिस्टम किसी के लिए नहीं होता। ...
दरअसल ये चुनावी गणित के सवाल हैं, देश को पटरी पर लाने का रास्ता नहीं है. किसानों का कुल कर्ज बारह लाख करोड़ अगर कोई सरकार सत्ता संभालने के लिए या सत्ता में बरकरार रहने के लिए माफ कर भी देतीे है तो क्या वाकई देश पटरी पर लौट आएगा और किसानों की हालत ठीक ...
सुषमा स्वराज को भी इसका एहसास है।अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उसमें सभी की नजर भाजपा शासित तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ पर ही है। अगर इन राज्यों को भाजपा गंवा देती है तो फिर कल्पना कीजिए 12 दिसंबर के बाद क्या होगा? सवाल ...
आखिरी रास्ता का मतलब संसद इसलिए नहीं है क्योंकि संसद में अगर विपक्ष कमजोर है तो फिर सत्ता हमेशा जनता की दुहाई देकर संविधान को भी दरकिनार करते हुए जनता के वोटों की दुहाई देगी। ...