हमारे देश की नियति है कि थोड़ा ज्यादा बादल बरस जाएं तो उसको समेटने के साधन नहीं बचते और कम बरस जाए तो ऐसा रिजर्व स्टॉक नहीं दिखता जिससे काम चलाया जा सके। अनुभवों से यह तो स्पष्ट है कि भारी-भरकम बजट, राहत, नलकूप जैसे शब्द जल संकट का निदान नहीं है। ...
एक अनुमान के अनुसार इस साल कोई 33 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पादित होगा. यदि इसके सुरक्षित निपटारे के लिए अभी से प्रयास नहीं हुआ तो धरती, हवा और पानी में इतना जहर घुल जाएगा कि उससे निपटना मुश्किल हो जाएगा. ...
भारत की गिनती दुनिया के 10 सबसे अधिक वन-समृद्ध देशों में होती है। यहां लगभग 809 लाख हेक्टेयर में पेड़ हैं, जो कि पूरे देश का लगभग 25 फीसदी है लेकिन यह भी कड़वा सच है कि इसमें लगातार गिरावट आ रही है। ...
हिंद महासागर के बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित 572 द्वीपों का समूह अंडमान निकोबार इन दिनों अलग द्वंद्व से गुजर रहा है. यहां कांक्रीटीकरण के साथ बाहरी लोगों को बसाने की योजना तैयार की जा रही है. ...
असम का डिब्रूगढ़ शहर पहले ब्रह्मपुत्र नदी से काफी दूर था, यह शहर डिब्रू नदी के किनारे था. हालांकि 1950 में इस इलाके में भयानक भूकंप आया और इससे ब्रह्मपुत्र नदी की दिशा ही बदल गई. ...
आपको बता दें कि हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन या तापमान बढ़ने से हमारे भोजन में पोषक तत्वों की भी कमी हो रही है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी खाद्य सुरक्षा के लिए दोहर ...
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे प्रदूषित नदी चेन्नई की कूवंम या कूवम नदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अवाडी से सत्य नगर के बीच नदी में बायोमेडिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 345 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो देश की 603 नदियों ...
छोटी कक्षाओं में सीखने की प्रक्रिया के लगातार नीरस होते जाने व बच्चों पर पढ़ाई के बढ़ते बोझ को कम करने के इरादे से मार्च 1992 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के आठ शिक्षाविदों की एक समिति बनाई थी, जिसकी अगुआई प्रो. यशपाल कर रहे थे. ...