ब्लॉगः जहरीले कचरे के कारण वरदान के बजाय अभिशाप बन रहीं नदियां

By पंकज चतुर्वेदी | Published: March 1, 2023 09:29 AM2023-03-01T09:29:34+5:302023-03-01T09:32:37+5:30

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे प्रदूषित नदी चेन्नई की कूवंम या कूवम नदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अवाडी से सत्य नगर के बीच नदी में बायोमेडिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 345 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो देश की 603 नदियों में सबसे ज्यादा है।

Blog Rivers becoming curse instead of boon due to toxic waste Koovam river | ब्लॉगः जहरीले कचरे के कारण वरदान के बजाय अभिशाप बन रहीं नदियां

ब्लॉगः जहरीले कचरे के कारण वरदान के बजाय अभिशाप बन रहीं नदियां

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे प्रदूषित नदी चेन्नई की कूवंम या कूवम नदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अवाडी से सत्य नगर के बीच नदी में बायोमेडिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 345 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो देश की 603 नदियों में सबसे ज्यादा है। यह हालात तब हैं जब इस नदी पर छा  रहे संकट को लेकर बीते आठ साल से कुछ न कुछ हो रहा है। सन् 2015 में चेन्नई में आई भयानक बाढ़ यदि याद हो तो उस जल भराव का कारण यही कूवम और एक अन्य अडयार नदी ही थी।  

कूवम शब्द ‘कूपम’ से बना है- जिसका अर्थ होता है कुआं। कूवम नदी 75 से ज्यादा तालाबों के अतिरिक्त जल  को अपने में सहेज कर तिरूवल्लूर जिले में कूपम नामक स्थल से उद्गमित होती है। दो सदी पहले तक इसका उद्गम धरमपुरा जिला था। भौगोलिक बदलाव के कारण इसका उद्गम स्थल बदल गया। कूवम नदी चेन्नई शहर में अरुणाबक्कम नाम स्थान से प्रवेश  करती है और फिर 18 किलोमीटर तक शहर के ठीक बीचोंबीच से निकल कर लगभग 65 किमी यात्रा करने के बाद नेपियर ब्रिज के नीचे की बंगाल की खाड़ी में मिलती है। इसके तट पर चूलायमेदू, चेरपेट, एग्मोर, चिंतारीपेट जैसी पुरानी बस्तियां हैं और इसका पूरा तट मलिन व झोपड़-झुग्गी बस्तियों से पटा है। इस तरह कोई 30 लाख लोगों का जल-मल सीधे ही इसमें मिलता है। कहने की जरूरत नहीं है कि यह कहीं से नदी नहीं दिखती। गंदगी, अतिक्रमण ने इसे लंबाई, चौड़ाई और गहराई में बेहद संकरा कर दिया है। अब तो थोड़ी सी बारिश में ही यह उफन जाती है।

नदी को नष्ट करने में सबसे बड़ी भूमिका रही नदी के छोटे से मार्ग में बना दिए गए पांच चेक डैम। ये चेक डैम  कूवम के पानी को शहर में प्रवेश करने से पहले ही रोक देते हैं। अब शहर में नदी का पानी तो आता नहीं, जब नदी के स्थान पर मैदान दिखा तो लोगों ने कब्जा भी किया और फिर इसमें घरों की निकासी और औद्योगिक कचरे का प्रवाह ही शेष रह गया। इस तरह कूवम जो कभी शहर के लिए वरदान हुआ करता था, धीरे-धीरे उसी शहर ने उसे अभिशाप में बदल दिया।

इस नदी का जहां समुद्र से मिलन होता है, वहां कूड़े का बड़ा ढेर जमा है, साथ ही रेत के कारण मुंह संकरा हो गया है, इससे समुद्र तक इसका प्रवाह भी बाधित रहता है, पानी ठहरने से उसमें बदबू और जीवाणु विकसित होते हैं। आज जरूरत है कि इस संगम स्थल पर एक दीवार बनाकर समुद्र में  ज्वार-भाटे के दौरान नदी से जल आदान-प्रदान को जीवित किया जाए। सभी अतिक्रमण तो हटाने ही होंगे। साथ ही चेन्नई में आने से पहले इसके मार्ग को अविरल बनाना भी अनिवार्य  है।   

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