ब्लॉग: पर्यावरण के लिए चिंताजनक है अंडमान-निकोबार में बाहरी लोगों को बसाना

By पंकज चतुर्वेदी | Published: April 3, 2023 11:03 AM2023-04-03T11:03:13+5:302023-04-03T11:07:07+5:30

हिंद महासागर के बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित 572 द्वीपों का समूह अंडमान निकोबार इन दिनों अलग द्वंद्व से गुजर रहा है. यहां कांक्रीटीकरण के साथ बाहरी लोगों को बसाने की योजना तैयार की जा रही है.

It is worrying for the environment to settle outsiders in Andaman Nicobar | ब्लॉग: पर्यावरण के लिए चिंताजनक है अंडमान-निकोबार में बाहरी लोगों को बसाना

ब्लॉग: पर्यावरण के लिए चिंताजनक है अंडमान-निकोबार में बाहरी लोगों को बसाना

यह स्थान समृद्ध जैव विविधता और वन्यजीवों की असाधारण विविधता का घर है. सरकार के अनुसार, यह दुनिया में सबसे अच्छी तरह से संरक्षित उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में से एक है. यहां धरती की सबसे पुरानी आदिवासी आबादी रहती है. क्या विकास का नया मॉडल इन सभी नैसर्गिक उपहारों का दुश्मन बन जाएगा? भूमि से दूर हिंद महासागर के बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित 572 द्वीपों का समूह अंडमान निकोबार इन दिनों ऐसे ही द्वंद्व से गुजर रहा है. 

ये द्वीप इंडोनेशिया और थाईलैंड के निकट स्थित हैं. 2013 में इसे यूनेस्को के जैवमंडल कार्यक्रम में शामिल किया गया था. आज वहां कांक्रीटीकरण के साथ बाहरी लोगों को बसाने की योजना तैयार की जा रही है.

ग्रेट निकोबार द्वीप में मेगा-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2020 में नीति आयोग की तरफ से मास्टर प्लान तैयार करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी करने के साथ शुरू हुई थी. इसके तहत 72,000 करोड़ रुपए की एकीकृत परियोजना की शुरुआत की गई है, जिसमें एक मेगा पोर्ट, एक हवाई अड्डा परिसर, 130 वर्ग किमी में विस्तृत शहर, सौर और गैस आधारित बिजली संयंत्र का निर्माण शामिल है. 

यहां आने वाले वर्षों में कोई चार लाख बाहरी लोगों को बसाने की योजना है अर्थात मौजूदा आबादी से कई हजार प्रतिशत ज्यादा. फिर मार्च 2021 में गुरुग्राम स्थित एक परामर्श एजेंसी AECOM इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 126-पेजों की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट जारी की थी. इसकी रिपोर्ट पाते ही वन तथा पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति लेने की औपचारिकता शुरू की और पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने के लिए हैदराबाद स्थित विमता लैब्स को काम सौंपा गया. 

दिसंबर 2021 में मंत्रालय ने ईआईए रिपोर्ट के मसौदे को टिप्पणियों और चर्चा के लिए आम जनता के बीच रखा, जिसमें पहले चरण के पूरा होने का संकेत दिया गया था. जनवरी 2022 में अनिवार्य जन सुनवाई ग्रेट निकोबार के प्रशासनिक मुख्यालय कैंपबेल खाड़ी में आयोजित की गई थी और विमता ने अंतिम ईआईए रिपोर्ट मार्च में प्रकाशित की थी. जन सुनवाई प्रक्रिया के दौरान जमशेदजी टाटा स्कूल ऑफ डिजास्टर स्टडीज, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में प्रोफेसर और डीन जानकी अंधारिया ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह प्रशासन को लिखा. 

इसमें कहा गया कि प्रस्तावित कंटेनर टर्मिनल एक ऐसे स्थान पर है जहां हर साल लगभग 44 भूकंप आते हैं और इस प्रकार इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. लेकिन इसको नजरंदाज कर 27 अक्तूबर 2022  को मंत्रालय के वन संरक्षण विभाग ने परियोजना के लिए 130.75 वर्ग किमी के प्राचीन वन के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी. यहां साढ़े आठ लाख पेड़ काटे जाएंगे.  

Web Title: It is worrying for the environment to settle outsiders in Andaman Nicobar

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