ब्लॉग: खेती के लिए खतरा बनता जा रहा है बदलता मौसम, आईसीएआर के अनुसार- अगर मार्च में हुई बारिश तो बढ़ सकती है मुश्किलें

By पंकज चतुर्वेदी | Published: March 16, 2023 01:15 PM2023-03-16T13:15:58+5:302023-03-16T13:23:37+5:30

आपको बता दें कि हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन या तापमान बढ़ने से हमारे भोजन में पोषक तत्वों की भी कमी हो रही है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी खाद्य सुरक्षा के लिए दोहरा खतरा है।

Changing weather becoming threat to agriculture according ICAR if it rains March then difficulties may increase | ब्लॉग: खेती के लिए खतरा बनता जा रहा है बदलता मौसम, आईसीएआर के अनुसार- अगर मार्च में हुई बारिश तो बढ़ सकती है मुश्किलें

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsभारत में बदलता हुआ मौसम एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में आईसीएआर ने कहा है कि मार्च महीने में बारिश होने से फसलों पर बुरा असर पड़ेगा। यही नहीं कई अध्ययनों में यह खुलासा हुआ है कि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी से कृषि उत्पादनों में और कमी हो सकती है।

नई दिल्ली: फरवरी-2023 का दूसरा हफ्ता समूचे हिमाचल प्रदेश के लिए तपती गर्मी ले आया। भले ही पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग इसे घाटे का मौसम कह रहे हैं लेकिन असली खतरा तो खेती पर मंडरा रहा है। हिमाचल की अर्थव्यवस्था का आधार फल व सब्जियों की खेती है और अचानक गर्मी से फसल बहुत हद तक खराब हो रही है। 

ऐसे में सबसे अधिक असर तो गेहूं पर पड़ रहा है। इस समय गेहूं जैसी फसल पकने को तैयार है। ऐसे में अचानक इतनी गर्मी होने से दाने का सिकुड़ना तय है। कमजोर दाने का अर्थ है, एक तो वजन में कमी और दूसरा पौष्टिकता में भी कमी का होना है। 

आईसीएआर ने क्या चेतावनी दी है

खतरा यहीं तक ही नहीं है, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) ने चेतावनी दी है कि 15 मार्च के बाद बरसात होने की संभावना है और यह तैयार फसल पर काल बनेगा। बीते कुछ सालों में मौसम का चरम होना-खासकर अचानक बहुत सारी बारिश एक साथ होने से खड़ी फसल की बर्बादी किसान को कमजोर करती रही है।

धरती के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी और उसके गर्भ से उपजे जलवायु परिवर्तन का भीषण खतरा अब दुनिया के साथ-साथ भारत के सिर पर मंडरा रहा है। यह केवल असामयिक मौसम बदलाव या ऐसी ही प्राकृतिक आपदाओं तक सीमित नहीं रहने वाला, यह इंसान के भोजन, जलाशयों में पानी की शुद्धता, खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता, प्रजनन क्षमता से लेकर जीवन के उन सभी पहलुओं पर विषम प्रभाव डालने लगा है जिसके चलते प्रकृति का अस्तित्व और मानव का जीवन सांसत में है।

हमारे भोजन में पोषक तत्वों में भी हो रही है कमी- रिपोर्ट

यह तो सभी जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन या तापमान बढ़ने का बड़ा कारण विकास की आधुनिक अवधारणा के चलते वातावरण में बढ़ रही कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा है। हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि इससे हमारे भोजन में पोषक तत्वों की भी कमी हो रही है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी खाद्य सुरक्षा के लिए दोहरा खतरा है। 

धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी से कृषि उत्पादन और घट सकता है- अध्ययन

आईपीसीसी समेत कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में इससे कृषि उत्पादन घटने की आशंका जाहिर की गई है। इससे लोगों के समक्ष खाद्य संकट पैदा हो सकता है। लेकिन नई रिपोर्ट और बड़े खतरे की ओर आगाह कर रही है। कार्बन उत्सर्जन से भोजन में पोषक तत्वों की कमी हो रही है। 

रिपोर्ट के अनुसार कार्बन उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी के कारण चावल समेत तमाम फसलों में पोषक तत्व घट रहे हैं। इससे 2050 तक दुनिया में 17.5 करोड़ लोगों में जिंक की कमी होगी, 12.2 करोड़ लोग प्रोटीन की कमी से ग्रस्त होंगे। दरअसल 63 फीसदी प्रोटीन, 81 फीसदी लौह तत्व तथा 68 फीसदी जिंक की आपूर्ति पेड़-पौधों से होती है। जबकि 1.4 अरब लोग लौह तत्व की कमी से जूझ रहे हैं जिनके लिए यह खतरा और बढ़ सकता है।
 

Web Title: Changing weather becoming threat to agriculture according ICAR if it rains March then difficulties may increase

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