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अंतरिक्ष पर्यटन : रॉकेट विमानों की तुलना में प्रति यात्री 100 गुना अधिक सीओ 2 उत्सर्जित करते हैं

By भाषा | Updated: July 21, 2021 12:09 IST

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एलोइस मरैस, भौतिक भूगोल में एसोसिएट प्रोफेसर, यूसीएल

लंदन, 21 जुलाई (द कन्वरसेशन) वर्जिन समूह के संस्थापक सर रिचर्ड ब्रैनसन और अमेज़ॅन के पूर्व सीईओ जेफ बेजोस के बीच पर्यटकों को अंतरिक्ष में ले जाने की व्यावसायिक होड़ तेज हो रही है । रविवार 11 जुलाई को, ब्रैनसन अपने वर्जिन गेलेक्टिक वीएसएस यूनिटी स्पेसप्लेन में अंतरिक्ष के किनारे तक पहुंचने के लिए 80 किमी उड़े। बेजोस के स्वायत्त ब्लू ओरिजिन रॉकेट को 20 जुलाई को अपोलो 11 के चांद पर उतरने की वर्षगांठ के मौके पर अंतरिक्ष में रवाना किया गया।

इन उड़ानों के जरिए बहुत धनी पर्यटकों को बाहरी अंतरिक्ष तक पहुंचने का अवसर प्रदान किया गया। दोनों यात्राओं में यात्रियों ने शून्य गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष से पृथ्वी की झलक के साथ दस मिनट की संक्षिप्त उड़ान का मज़ा लिए। इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए एलोन मस्क का स्पेसएक्स 2021 में बाद में अपने क्रू ड्रैगन कैप्सूल के साथ चार से पांच दिन की कक्षीय यात्रा करवाएगा।

अंतरिक्ष पर्यटन उद्योग के पर्यावरणीय परिणाम क्या होने की संभावना है? बेजोस का दावा है कि उनका ब्लू ओरिजिन रॉकेट ब्रैनसन के वीएसएस यूनिटी की तुलना में पर्यावरण के लिहाज से बेहतर हैं।

ब्लू इंजन 3 (बीई -3) में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन प्रणोदक का उपयोग किया गया था। वीएसएस यूनिटी ने एक ठोस कार्बन-आधारित ईंधन, हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडीन (एचटीपीबी), और एक तरल ऑक्सीडेंट, नाइट्रस ऑक्साइड (लाफिंग गैस) से युक्त एक हाइब्रिड प्रणोदक का उपयोग किया। पुन: प्रयोज्य रॉकेटों की स्पेसएक्स फाल्कन श्रृंखला तरल मिट्टी के तेल और तरल ऑक्सीजन का उपयोग करके क्रू ड्रैगन को कक्षा में ले जाएगी।

इन प्रणोदकों को जलाने से अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने के लिए आवश्यक ऊर्जा मिलती है जबकि ग्रीनहाउस गैसें और वायु प्रदूषक भी पैदा होते हैं। बीई-3 प्रणोदक को जलाने से बड़ी मात्रा में जल वाष्प उत्पन्न होता है, जबकि वीएसएस यूनिटी और फाल्कन ईंधन दोनों के दहन से सीओ2, कालिख और कुछ जल वाष्प उत्पन्न होते हैं। वीएसएस यूनिटी द्वारा उपयोग किया जाने वाला नाइट्रोजन-आधारित ऑक्सीडेंट नाइट्रोजन ऑक्साइड, यौगिक भी उत्पन्न करता है जो पृथ्वी के करीब वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।

मोटे तौर पर दो-तिहाई प्रणोदक निकास समताप मंडल (12 किमी -50 किमी) और मेसोस्फीयर (50 किमी-85 किमी) में छोड़ा जाता है, जहां यह कम से कम दो से तीन वर्षों तक बना रह सकता है। प्रक्षेपण और पुन: प्रवेश के दौरान बहुत अधिक तापमान (जब लौटने वाले यान का सुरक्षात्मक कवच जल जाता है) भी हवा में स्थिर नाइट्रोजन को प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन ऑक्साइड में परिवर्तित कर देती है।

इन गैसों और कणों के वातावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। समताप मंडल में, जल वाष्प के टूटने से बनने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड और रसायन ओजोन को ऑक्सीजन में बदल देते हैं, जिससे ओजोन परत कम हो जाती है जो हानिकारक यूवी विकिरण के खिलाफ पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है। जल वाष्प समतापमंडलीय बादल बनाते हैं, जो एक सतह का निर्माण करते हैं, जिससे यह प्रतिक्रिया सामान्य परिस्थितियों की तुलना में तेज गति से होती है।

अंतरिक्ष पर्यटन और जलवायु परिवर्तन

सीओ2 और कालिख के उत्सर्जन से वातावरण में गर्मी ठहर जाती है जो, ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती है। वातावरण में ठंडक भी आ सकती है, क्योंकि उत्सर्जित जलवाष्प से बने बादल सूर्य की रोशनी को अंतरिक्ष में वापस परावर्तित कर देते हैं। एक क्षीण ओजोन परत भी आने वाली धूप को कम अवशोषित करेगी, और इसलिए समताप मंडल को कम गर्म करेगी।

वायुमंडल पर रॉकेट प्रक्षेपण के समग्र प्रभाव का पता लगाने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता होगी, ताकि इन जटिल प्रक्रियाओं और ऊपरी वातावरण में इन प्रदूषकों की मौजूदगी के प्रभाव का पता लगाया जा सके। यह समझना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है कि अंतरिक्ष पर्यटन उद्योग किस तरह से विकसित होगा।

वर्जिन गेलेक्टिक का अनुमान है कि वह हर साल उन विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए 400 अंतरिक्ष उड़ानों की व्यवस्था करेगा जो इसका खर्च वहन कर सकते हैं। ब्लू ओरिजिन और स्पेसएक्स ने अभी तक अपनी योजनाओं की घोषणा नहीं की है। लेकिन विश्व स्तर पर, रॉकेट लॉन्च को हर साल मौजूदा 100 की संख्या से ज्यादा बढ़ाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए ताकि इसके हानिकारक प्रभावों से बचा जा सके।

लॉन्च के दौरान, रॉकेट इसी अवधि में यूके के सबसे बड़े थर्मल पावर प्लांट ड्रेक्स की तुलना में चार से दस गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित कर सकते हैं। एक अंतरिक्ष उड़ान में चार या इतने ही पर्यटकों के लिए सीओ2 उत्सर्जन लंबी दूरी की उड़ान पर प्रति यात्री के एक से तीन टन की तुलना में 50 से 100 गुना अधिक होगा।

अंतरराष्ट्रीय नियामकों के इस नवजात उद्योग के साथ बने रहने और इसके प्रदूषण को ठीक से नियंत्रित करने की जरूरत है, वैज्ञानिकों को हमारे ग्रह के वायुमंडल पर इन अरबपति अंतरिक्ष यात्रियों के प्रभाव की बेहतर समझ की आवश्यकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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