चुनावों में जीत-हार लगी रहती है। हालांकि कुछ लोगों के लिए सत्ता से बढ़कर कुछ नहीं होता। सत्ता से विदाई से बचने के लिए ऐसे लोग कुछ भी कर सकते हैं। ऐसा ही हुआ है प्रशांत सागर क्षेत्र में स्थित देश समोआ में। जहां चुनाव में हार झेलने वाले प्रधानमंत्री ने अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया। आलम ये था कि नई प्रधानमंत्री के लिए संसद के दरवाजे तक नहीं खोले गए। जिसके बाद देश की नई प्रधानमंत्री को संसद के बाहर तंबू लगाकर शपथ लेनी पड़ी।
समोआ में अप्रैल में चुनाव हुए थे। जिसमें सत्ताधारी दल ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन पार्टी को हार झेलनी पड़ी और पार्टी करीब 40 सालों के बाद सत्ता से बाहर हो गई। सत्ता के हाथ से निकल जाने से प्रधानमंत्री सैलेले मैलिलेगाओई बेहद नाराज थे, जिसके कारण उन्होंने अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया।
फास्ट पार्टी को मिली जीत
समोआ में पहली बार है जब कोई महिला प्रधानमंत्री बनी है। नाओमी मताफा की फास्ट पार्टी को इन चुनावों में जीत मिली है। हालांकि नाओमी संसद में शपथ ग्रहण नहीं कर सकी क्योंकि संसद में ताला लगा दिया गया था। इसके बाद संसद के बाहर तंबू लगाकर एक समारोह आयोजित किया गया। जिसमें उन्होंने शपथ ली।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में हुए चुनावों को सही बताया
गौरतलब है कि मैलिलेगाओई करीब 22 सालों से सत्ता में थे। अप्रैल में हुए चुनाव के दौरान ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन पार्टी और फास्ट पार्टी को 25-25 सीटें मिली थीं। लेकिन एक निर्दलीय ने फास्ट पार्टी को समर्थन दिया। जिसके बाद मैलिलेगाओई की पार्टी ने विरोधी पार्टी पर महिला कोटे का पालन ठीक से नहीं करने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने अप्रैल के मतदान को रद्द कर 21 मई को चुनाव कराने के आदेश दिए थे। हालांकि मैलिलेगाओई को उस वक्त झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में हुए चुनावों को सही बताया।