नई दिल्ली: पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से अपनी पहली और सबसे कठिन परीक्षा में मोहम्मद मुइज्जू सफल हुए। मालदीव में रविवार को हुए संसदीय चुनाव में मुइज्जू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) को बहुमत मिला है। इस परिणाम को भारत के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि मोहम्मद मुइज्जू का झुकाव चीन की तरफ माना जाता है।
मोहम्मद मुइज्जू अपने इंडिया आउट अभियान के दम पर सत्ता में आए थे। उनकी सरकार देश की इंडिया फर्स्ट नीति से दूर जा रही है और इसका चीन की ओर झुकाव ज्यादा है। रविवार को कुल 93 निर्वाचन क्षेत्रों में सांसद चुने जाने के लिए मतदान हुआ।
मालदीव की मीडिया के अनुसार 93 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए कुल छह पार्टियों से 368 उम्मीदवार चुनाव मैदान थे और ल 2,84,663 लोग मतदान के लिए पात्र थे। बताया गया कि मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीएनसी ने 93 सदस्यीय पीपुल्स मजलिस में 60 से अधिक सीट हासिल कर ली हैं।
मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता में आते ही वहां मौजूद भारतीय सैन्यकर्मियों की एक छोटी सी टुकड़ी को बाहर जाने का आदेश दिया था। इसे लेकर काफी विवाद हुआ और दो समूहों में इन सैन्यकर्मियों की वापसी हुई। मालदीव हिंद महासागर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर स्थित है। मुइज्जू ने चीन समर्थक रुख अपनाया और देश के एक द्वीप पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने का काम किया। अब वह मालदीव की सत्ता पर पूरी तरह से काबिज हैं। ये भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है क्योंकि इस नतीजे के बाद मालदीव में चीन की दखल बढ़ना तय माना जा रहा है।
मालदीव के कुछ मंत्रियों की भारत विरोधी टिप्पड़ी भी पिछले दिनों चर्चा में रही थी। पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव के कुछ नेताओं की अभद्र भारत विरोधी टिप्पड़ियों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।