भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव को सोशल मीडिया पर अपनी ही पोस्ट को लेकर फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। राव ने 1 फरवरी को विपक्षी नेताओं पर तंज करते हुए बरनॉल की फोटो शेयर की थी। राव ने तस्वीर के साथ लिखा- "जनता के बीच चर्चित हुए इस बजट को पेश करने के बाद विपक्ष के कई नेता जल-भुन कर रह गए थे। ऐसे में सोच रहा हूं कि उन्हें पर्याप्त बरनॉल मुहैया कराऊं, ताकि उन्हें कुछ राहत मिले!"
बीजेपी नेता के इस ट्वीट के बात सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें जमकर ट्रोल करना शुरू कर दिया...
कमलनाथ ने बजट को बताया छलावा: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पेश अंतरिम बजट को चुनावी बजट बताते हुए कहा कि यह जुमला और छलावा साबित होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इस आखिरी बजट से अच्छे दिन की उम्मीद ख़त्म हो गई है।
केजरीवाल ने अंतरिम बजट को बताया अंतिम जुमला: केजरीवाल केंद्रीय बजट को नरेंद्र मोदी सरकार का ‘अंतिम जुमला’ करार देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे दिल्ली को निराशा ही हाथ लगी है। केंद्र ने शुक्रवार को केंद्रीय बजट में दिल्ली के लिए 1,112 करोड़ रुपये आवंटित किए। उसने केंद्रीय करों एवं शुल्को में उसका हिस्सा अपरिवर्तित रखा। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार का अंतिम जुमला: उसके अंतरिम बजट ने भी दिल्ली को निराश किया। केंद्रीय करों में हमारा हिस्सा 325 करोड़ रुपये पर ही अटका रहा और स्थानीय निकायों के लिए कुछ भी आवंटित नहीं किया गया। दिल्ली वित्तीय रुप से अपने दम पर चल रहा है।’’
वामदलों ने बजट को बताया जुमला: बजट को वामदलों ने चुनावी जुमला बताया है। माकपा द्वारा जारी बयान में मोदी सरकार को आंकड़ों के साथ खिलवाड़ करने और जुमलेबाजी करने वाली सरकार बताते हुये कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट भी सरकार की इसी कवायद का हिस्सा है। भाकपा ने बजट को बड़े वादों के साथ जनता की आंख में धूल झोंकने वाला बताते हुये कहा कि बजट में किसानों की मदद के लिये तमाम योजनायें पर्याप्त राशि के बिना ही घोषित कर दी गयी हैं। पार्टी ने कहा कि 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा के दायरे में लाने के लिये आयुष्मान भारत योजना के लिये महज 2000 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटन किये जाने के कारण दिल्ली, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों ने इसे लागू करने से इंकार कर दिया है। इसी तरह बजट में खेतिहर मजदूरों को पूरी तरह से नजरंदाज किया गया है।