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जब प्रवासी कामगार पलायन कर रहे हैं तब पूना में इन कामगारों को किसने रोका

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 20, 2020 01:36 IST2020-05-20T01:36:53+5:302020-05-20T01:36:53+5:30

कई दिनों तक भूखे प्यासे, पैदल, साईकिल, ट्रक जो मिला उस पर सवार होकर मुंबई-पूना से यूपी-बिहार में अपने घर वापस जाते मज़दूरों की कई तस्वीरें हमने देखी होंगी. ये लोग कोरोना के साथ बेरोज़गारी और फिर भूख की दोहरी मार सह नहीं सके और सैंकड़ों किलोमीटर दूर अब तक के सबसे मुश्किल सफर पर निकल पड़े. इस लंबी दूरी को पूरा कर पाने के लिए बस एक ही हौसला, एक ही डोर थी जो उन्हें अपने घर की ओर खींचे जा रही थी. उन्हें उम्मीद थी कि वो एक दिन अपने गांव होंगे, अपनों के साथ होंगे. उसी खुशी के लिए रास्ते में मिलने वाली हर मुश्किल सहने को तैयार थे.
सड़को रेल की पटरियो पर जान पर खेलकर घर जाते मजदूरों की हालत दिहलाने वाली थी. इन्हीं के बीच का कुछ मजदूर अब पूना में रुके हैं. वो वापस नहीं गए. 56 दिनों बाद जब फैक्ट्रियां खुली तो वापस काम पर लौट आए हैं. पुणे के भोसरी ईंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया में लोकमत ने यूपी के सिद्धार्थ नगर के रहने वाले प्रवासी मजदूर से बात की. 4 सालों से पूना में कर रह रहे इस प्रवासी कामगार ने अपनी कहानी सुनाई कि आखिर वो घर वापस क्यों नहीं गये.
 

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