माघ मेला की शुरुआत हर साल पौष पूर्णिमा से होती है और महाशिवरात्रि तक जारी होता है। इस डेढ़ महीने के दौरान पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान की परंपरा है। पौष पूर्णिमा के अलावा जिन महत्वपूर्ण दिनों में स्नान और दान की परंपरा है, वे हैं- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि। इसमें अमावस्या तिथि को बेहद शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और संगम में स्नान करते हैं। Read More
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस पवित्र अनुष्ठान से पिछले और वर्तमान पाप धुल जाते हैं। ...
माघ पूर्णिमा के दिन प्रयागराज महाकुंभ में माघ मेले में पांचवा पवित्र स्नान किया जाएगा। इस दिन श्रीहरि विष्णु जल में वास करते हैं। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने वालों को आरोग्य और कई यज्ञ करने के समान पुण्य मिलता है। ...
माघ मास की अमावस्या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत करने से ज्ञान की प्राप्ति एवं अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। साथ ही देवगण एवं पितृगण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ...
महाशिवरात्रि के मौके पर लोगों ने प्रयागराज के संगम तट पर पूजा की और स्नान किया। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन यानी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ...
इस पवित्र महीने की शुरूआत 18 जनवरी, मंगलवार से हो रही है, जबकि इसका समापन 16 फरवरी 2022 को माघ पूर्णिमा के दिन होगा। माघ मास में 'कल्पवास' किया जाता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति तन-मन और आत्मा से नवीन हो जाता है। ...