उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं। Read More
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं। यह यात्रा 4 जुलाई से शुरू होनी है। इसमें हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे हैं। यह यात्रा 12 जुलाई को खत्म होगी। उम्मीद जताई जा रह ...
कथा के अनुसार श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया तो मानव शरीर तो अग्नि देव को समर्पित हो गया लेकिन उनका दिल जलता रहा। ...
पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तैयारियां काफी पहले शुरू हो जाती हैं। रथ का निर्माण हर साल वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को विधिवत तौर पर शुरू होता है। ...
रेलवे रथ यात्रा के विशेष मौके के लिए एक विशेष एप भी जारी करेगा जिसमें सभी स्पेशल ट्रेन से संबंधित जानकारी दी जाएगी। हर साल होने वाले इस विशेष आयोजन का हिंदू मान्यताओं में विशेष महत्व है। ...
एएसआई के अधीक्षक अरुण कुमार मलिक ने 12वीं शताब्दी के मंदिर के मुख्य द्वार पर दो प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद पत्रकारों को बताया, ‘‘एएसआई की महानिदेशक उषा शर्मा के निर्देश पर, हमनें चक्रवात के बाद जीर्णोद्धार कार्य को स्नान पूर्णिमा (17 जून) पर पू ...