इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का आविष्कार 1980 के दशक में हुआ था। भारत में पिछले कई सालों से ईवीएम से वोटिंग को लेकर राजनीतिक विवाद चल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम से पुरानी मतपत्र प्रणाली की तुलना में वोट डालने के समय में कमी आती है तथा कम समय में परिणाम घोषित करती है। Read More
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए बैलट पेपर से 2024 के चुनाव कराने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी के भरोसे इतनी कीमती लोकतंत्र प्रक्रिया को नहीं छोड़ा जा सकता है। ...
आंकड़ों के मुताबिक, हिल काउंसिल करगिल के 5वें आम चुनाव के लिए कुल 89 उम्मीदवार मैदान में हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन 89 उम्मीदवारों में से 17 नेशनल कान्फ्रेंस के, 9 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), 17 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), 4 आम आदमी पार् ...
लोकसभा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने चुनावी मतदान में प्रयोग में आने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब बांग्लादेश ने ईवीएम को बैन कर दिया तो भारत में क्यों नहीं इस पर रोक लगाई जाए। ...
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा, ‘‘विपक्ष का ईवीएम पर सवाल उठाने का मतलब आने वाले चुनावों में अपनी हार को स्वीकार करना है, क्योंकि उन्हें चुनावों में अपनी हार के लिए वोटिंग मशीनों को दोष देना सबसे सुविधाजनक लगता है।’’ ...
सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि वो ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं और उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि ईवीएम में धांधली हो सकती है। ...