पप्पू यादव ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए किया ट्वीट, बोले- "जब बांग्लादेश ने ईवीएम बैन कर दिया तो भारत में क्यों नहीं?"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 7, 2023 02:18 PM2023-04-07T14:18:18+5:302023-04-07T14:21:56+5:30
लोकसभा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने चुनावी मतदान में प्रयोग में आने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब बांग्लादेश ने ईवीएम को बैन कर दिया तो भारत में क्यों नहीं इस पर रोक लगाई जाए।
पटना: लोकसभा के पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी नाम से बिहार की सियासत में सक्रिय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने चुनाव में मतदान के लिए प्रयोग में आने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल खड़ा किया है। वैसे भारत में ईवीएम को लेकर समय-समय पर कई सियासी दलों द्वारा सवाल उठाये गये हैं लेकिन चूंकि लगभग एक साल बाद 2024 में देश का आम चुनाव होने वाला है। इस कारण पप्पू यादव ने एक बार फिर ईवीएम का मसला छेड़ दिया है।
पप्पू यादव ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में ईवीएम से चुनाव कराये जाने पर लगे बैन के बाद यह प्रश्न उठाते हुए ट्वीट किया है कि जब बांग्लादेश ने ईवीएम पर बैन लगा दिया है तो क्या भारत में इस पर बैन नहीं लगना चाहिए। पप्पू यादव ने ट्वीट में लिखा है, "जब बांग्लादेश ने ईवीएम को बैन कर दिया तो भारत में क्यों नहीं? क्या इसलिए कि विकास के मामले में बांग्लादेश भारत से आगे निकल गया?"
जब बांग्लादेश ने EVM को बैन कर दिया
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) April 7, 2023
तो भारत में क्यों नहीं?
क्या इसलिए कि विकास के मामले में
बांग्लादेश भारत से आगे निकल गया?
दरअसल बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेश में इस साल होने वाले आम चुनाव में ईवीएम की जगह बैलेट पत्र से चुनाव कराने पर सहमति जता दी है। बांग्लादेश में विपक्षी दल बीते कुछ वर्षों से लगातार ईवीएम के कारण चुनावी धांधली का अंदेशा जता रहे थे और ईवीएम को बैन किये जाने की मांग कर रहे थे।
वहीं भारत में कई वर्षों से विभिन्न राजनैतिक दल ईवीएम में धांधली, हैकिंग और छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने कई बार इस विषय पर स्पष्ट किया है कि भारत में प्रयोग होने वाली ईवीएम मशीने मतदान प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यही नहीं चुनाव आयोग ने ईवीएम पर आपत्ति जताने वाले राजनैतिक दलों को चुनौती दी थी कि वो ईवीएम को हैक करके दिखाएं। आयोग ने इसके लिए डेमो कार्यक्रम भी रखा था लेकिन आरोप लगाने वाले दल चुनाव आयोग के बुलावे पर नहीं गये थे।