लाइव न्यूज़ :

नाग कुआंः नागलोक का रास्ता है यह कुआं, नागपंचमी के दिन ही होते हैं दर्शन

By गुणातीत ओझा | Published: July 24, 2020 8:43 PM

नाग कुआं सिर्फ एक दिन नाग पंचमी पर्व पर ही दर्शन के लिए खोला जाता है। इस दिन यहां नाग पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहां पूजा अर्चना कर नाग कुआं का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है।

Open in App
ठळक मुद्देनाग कुआं सिर्फ एक दिन नाग पंचमी पर्व पर ही दर्शन के लिए खोला जाता है।मान्यता है कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहां पूजा अर्चना कर नाग कुआं का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है।

Nag Panchami 2020: धर्म नगरी काशी के नवापुरा क्षेत्र में एक ऐसा कुआं है जिसके बारे में मान्‍यता है कि इसकी अथाह गहराई नागलोक तक जाती है। कारकोटक नाग तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध इस कुएं की गहराई कितनी है इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं। धर्मशास्‍त्रों के अनुसार इस कूप के दर्शन मात्र से ही नागदंश के भय से मुक्‍ति मिल जाती है।

करकोटक नाग तीर्थ के नाम से विख्‍यात इसी पवित्र स्‍थान पर शेषावतार (नागवंश) के महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी के महाभाष्य की रचना की थी। मान्यता यह भी है की इस कूप का रास्ता सीधे नाग लोक को जाता है। इस कूप की सबसे बड़ी महत्ता ये हैं की इस कूप में स्नान व पूजा मात्र से ही सारे पापों का नाश हो जाता है। कूप में स्नान मात्र से ही नाग दोष से मुक्ति मिल जाती है, ऐसी मान्‍यता है। 

विश्व के तीन महा कुंड में सबसे प्रसिद्ध कुंड है नाग कुआं

पूरे विश्व में काल सर्प दोष की सिर्फ तीन जगह ही पूजा होती हैं उसमे से ये कुंड प्रधान कुंड हैं। कहा जाता है कि जैतपुरा का कुंड ही मुख्य नागकुंड है। जिसका निर्माण महर्षि पतंजलि ने अपने तप से किया था। मान्यताओं के अनुसार, महर्षि पतंजलि ने एक शिवलिंग की भी स्थापना की थी। बताया जाता है कि नागपंचमी से पहले कुंड की सफाई कर जल निकाला जाता है और फिर शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है। 

गहराई का आज तक नहीं चल सका पता

इस जाने-माने स्थान को करकोटक नाग तीर्थ के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि अभी तक नागकुंड की गहराई की सही जानकारी नहीं हो सकी है। कहा जाता है कालसर्प दोष से मुक्ति पाने का यह प्रथम स्थान है, जबकि दुनिया में ऐसे तीन स्थान हैं।

भगवान शिव के इस रूप की पूजा

यहां भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। बताया जाता है कि भगवान शिव की पूजा यहां नागेश के रूप में होती है। भगवान शिव के इस स्वरूप की पूजा के कारण इस मंदिर को करकोटक नागेश्वर के नाम से जाना जाता है।

टॅग्स :नाग पंचमीभगवान शिववाराणसीधार्मिक खबरें
Open in App

संबंधित खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: "मैंने कभी हिंदू या मुस्लिम नहीं किया, ईद हमारे घर में भी मनाया जाता था...", पीएम मोदी ने विपक्ष के आरोपों पर कहा

भारतVaranasi Seat Lok Sabha Elections 2024: 13 को रोड शो और काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा, 14 मई को दशाश्वमेध घाट-काल भैरव मंदिर में दर्शन के बाद तीसरी बार नामांकन, देखें फोटो

भारतVaranasi Seat Lok Sabha Elections 2024: पीएम का नामांकन, तीसरे कार्यकाल में बनारस के लिए क्या-क्या करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, देखिए 10 बड़ी बातें

भारतPM Narendra Modi files Nomination: वो 4 लोग, जो प्रस्तावक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पहुंचे वाराणसी डीएम ऑफिस, जानें

भारतPM Narendra Modi Nomination Live Updates: 2014, 2019 के बाद 2024, पीएम मोदी ने लिखा- ‘काशी के साथ मेरा रिश्ता अनूठा, अभिन्न और अतुलनीय..., पढ़िए पोस्ट

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठSita Navami 2024: सीता नवमी पर पारिवारिक कलह को दूर करने के लिए करें जरूर करें यह उपाय

पूजा पाठMohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर बन रहे हैं कईं शुभ योग, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और कथा

पूजा पाठJyeshtha Month 2024: कब शुरू हो रहा ज्येष्ठ महीना, जानें इस दौरान मनाए जानते हैं कौन-कौन से त्यौहार और व्रत

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 16 May 2024: आज इन 4 राशियों के योग में है धन, जानिए क्या कहता है आपका भाग्य

पूजा पाठआज का पंचांग 16 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय