बैसाखी, नाम आते ही जहन में भांगड़ा करते लोग, खुशियों से एक-दूसरे के गले मिलते लोगों का चित्र बनने लगता है। यह उत्सव उत्तरी भारत में पंजाब सहित कई हिस्सो में बैसाखी (Baisakhi) बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। यह इस उत्सव को मनाने के दो वजहें हैं पहला कि इस दिन यानी 13 अप्रैल को सिख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और दूसरा किसान अपनी पकी हुई फसल के कटने की खुशी में मनाते हैं। देश के कई हिस्सों में इस त्योहार को अलग नाम से जाना जात है। असम में इसे बिहू कहते हैं, बंगाल में इसे पोइला बैसाख कहते हैं और केरल में इस त्यौहार को विशु कहा जाता है।
इस दिन पंजाब में इसकी रौनक देखने को मिलता है। क्योंकि यह सिख धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिदा किया जाता है। इस दिन को सिक्खों का नया साल भी कहा जाता है। इस मौके पर अगर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई संदेश भेजना चाहते हैं या अपने व्हाट्सअप या फेसबुक स्टेटस डालना चाहते हैं तो यहां आपके लिए बैसाखी के बाधाई संदेश और वॉलपेपर मौजूद हैं। जिसे आप भेज सकते हैं।
अन्नदाता की खुशहालीऔर समृद्धि के पर्वबैसाखी पर आप सभी कोढेर सारी शुभकामनाएँ और बधाइयाँ।
सुबह सुबह उठ के हो जाओ फ्रैशपहन लो आज सबसे अच्छा सा कोई ड्रैसदोस्तों के साथ अब चलो घूमनेबैसाखी की दो शुभकामनाएं जो आये सामनेतुमको भी बैसाखी की लख लख बधाई।
बैसाखी आई, साथ में ढेर सारी खुशियां लाई,तो भंगड़ा पाओ, खुशी मनाओ,मिलकर सब बंधु भाई,बैसाखी की शुभकामनाएं।
नचले गाले हमारे साथ,आई है बैसाखी खुशियों के साथ,मस्ती में झूम और खीर पूरी खा,और न कर तू दुनिया की परवाह,बैसाखी मुबारक हो।
तुसी हंसदे हो सानू हसान वास्ते,तुसी रोने ओ सानू रूआन वास्ते,इक वारी रुस के ता वेखो सोनेओ,मर जावांगे तुआनू मनान वास्ते,बैसाखी दा दिन है खुशियां मनान वास्ते,बैसाखी दीयां बधाईयां।
खालसा मेरो रूप है खास,खालसे में करूं निवास,खालसा मेरा मुख हैं अंगा,खालसे के साजना दिवस की आप सब को बधाई।
नाचो-गाओ, खुशी मनाओ,आई है बैसाखी, चलो जश्न मनाओ,रखकर सब टेंशन को इक ओर,मिलकर गीत खुशी के गाओ,और बैसाखी का त्योहार मनाओ।
मस्ती का मौसम, झूम लो मेरे यार,खा लो खीर पूड़ों के साथकरो ना अब दुनिया की परवाह, मानाओ सब बैसाखी का त्योहार।
सुबह से शाम तक वाहेगुरू की कृपा,ऐसे ही गुजरे हर एक दिन,न कभी हो किसी से गिला-शिकवा,एक पल न गुजरे खुशियों बिन।