Vaishakh Amavasya 2024 Upay: वैशाख माह की अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में अमावस्या को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वैशाख अमावस्या 8 मई को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है। अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म , दान पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
1. वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 7 मई 2024 दिन मंगलवार को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 8 मई 2024 बुधवार को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर समापन होगा। इस बार वैशाख अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग और सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। वैशाख अमावस्या के दिन कुछ विशेष करने से कुंडली में पितृ दोष दूर होता है और जीवन में धन-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
2. वैशाख अमावस्या पर दक्षिण भारत में शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और नीले आंकड़े का फूल अर्पित करें और शनि चालीसा का पाठ करें। मान्यता है इस दिन शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और तमाम दोषों का शमन होता है तथा सुख शांति आती है। वैखाख अमावस्या के दिन आप गरीबों-नौकर-चाकरों को या जरूरत मंदों को दान जरूर करें।
3. वैशाख अमावस्या के दिन श्रीमद् भागवत कथा सुनें। घर में गीता का पाठ करें। इसके अलावा जरूरतमंदों को खाना खिलाना चाहिए। इससे पितृ दोष दूर होता है। घर में बरकत होती है और जीवन में सुख और शांति आती है। साथ ही पितरों को मोक्ष मिलता है। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। इससे पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
4. वैशाख अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और फूल अर्पित करें। इसके साथ ही 'ऊं पितृभ्य नम:' मंत्र का जाप करें। पितृसूक्त और पितृस्तोत्र का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए।
5. पौराणिक शास्त्रों में अन्य अमावस्या तिथि के समान वैशाख माह में जल का दान महत्वपूर्ण माना गया है। जल दान करने से व्यक्ति को तीर्थ करने के समान पुण्य मिलता है। इस वजह से वैशाख अमावस्या के दिन आप लोगों को पानी पिलाएं, राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था कराएं। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल अर्पित करें। त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
(डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। इस संबंध किसी विद्वान पंडित की सलाह अवश्य लें।)