सदाअत हसन मंटो: जिन्होंने कहा, 'मैं अफसाना नहीं लिखता,अफ़साना मुझे लिखता है'
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 18, 2018 17:13 IST2018-01-18T16:52:48+5:302018-01-18T17:13:34+5:30

सआदत हसन मंटो का जन्म- 11 मई, 1912 को समराला, पंजाब में हुआ था।

मंटो पर अश्लीलता के कई आरोप लगे जिसकी वजह से उन्हें 6 बार अदालत जाना पड़ा।

जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन मामला साबित नहीं हो पाया।

कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।

मंटो कहते है, कहानी मेरे दिमाग में नहीं, मेरी जेब में होती है, जिसकी मुझे कोई खबर नहीं होती।

मैं अफसाना नहीं लिखता, अफसाना मुझे लिखता है।

42 साल और 8 महीने की जिंदगी में मंटो ने इश्क, त्रासदी, सांप्रदायिक झगड़ों पर खूब लिखा।

राजनीति से मुझे उतनी ही दिलचस्पी है, जितनी गांधी जी को सिनेमा से थी। गांधी जी सिनेमा नहीं देखते थे और मैं अखबार नहीं पढ़ता।

अगर पूछा जाए कि मैं कहानी क्यों लिखता हूँ, तो कहूँगा कि शराब की तरह कहानी लिखने की भी लत पड़ गई है।

जब सआदत हसन मंटो की मौत हुई थी तब वे उर्दू के चर्चित लेकिन विवादास्पद लेखक थे।

18 जनवरी, 1955 को लाहौर में इस कहानीकार और लेखक का निधन हो गया।

















