कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर में दिखते हैं ये 10 लक्षण, हार्ट अटैक का बढ़ सकता है खतरा

By संदीप दाहिमा | Updated: February 7, 2022 18:23 IST2022-02-07T18:20:44+5:302022-02-07T18:23:42+5:30

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फेमस हेल्थ वेबसाइट हेल्थलाइन के अनुसार, उच्च कोलेस्ट्रॉल आमतौर पर किसी भी लक्षण का कारण नहीं बनता है। ज्यादातर मामलों में यह केवल आपातकालीन घटनाओं का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, दिल का दौरा या स्ट्रोक। ये घटनाएं आम तौर पर तब तक नहीं होती हैं, जब तक कि उच्च कोलेस्ट्रॉल आपकी धमनियों में पट्टिका के गठन की ओर नहीं जाता है। पट्टिका धमनियों को संकीर्ण कर सकती है ताकि कम रक्त गुजर सके।

कोलेस्ट्रॉल लेवल जानने का ब्लड टेस्ट एकमात्र तरीका है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल 200 एमजी/डीएल से कम होना ठीक रहता है। एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल 100एमजी/डीएल से कम, एचडीएल यानि गुड कोलेस्ट्रॉल 60एमजी/डीएल से ज्यादा और ट्राइग्लिसराइड 150 एमजी/डीएल से कम होना बेहतर है।

सीने में दर्द, जी मिचलाना, अत्यधिक थकान, सांस की कमी, गर्दन, जबड़े, ऊपरी पेट या पीठ में दर्द, ज्यादा ठंड महसूस होना, अचानक चक्कर आना, उलझन, धुंधली दृष्टि, अचानक गंभीर सिरदर्द, जकड़न, छाती या बाहों में दर्द, मतली आदि महसूस होने पर आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

फलियों से दिल को स्वस्थ रखने में सहायक एक यूएसए-आधारित अध्ययन के अनुसार, एक सप्ताह में चार या अधिक बार फलियों का सेवन कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को 22% और हृदय रोग के जोखिम को 11% तक कम कर सकता है।

फलियां और कोलेस्ट्रॉल फलियों के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का लेवल कम किया जा सकता है। फलियों में घुलनशील फाइबर इसके लिए जिम्मेदार है। फलियों में मौजूद प्रोटीन, प्लांट स्टेरोल्स और एंटीऑक्सिडेंट कोलेस्ट्रॉल लेवक को कम कर सकते हैं।

दाल मटर, छोले, मूंग दाल, तूर दाल और राजमा जैसे सभी दाल दिल को स्वस्थ रखने में सहायक हैं। दाल न केवल पौधे-आधारित प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं, बल्कि इनमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) भी है, जो उन्हें डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद बनाता है। दालें फाइबर का समृद्ध स्रोत हैं और वसा में कम हैं। स्वस्थ वजन, वजन घटाने, स्वस्थ दिलके लिए आपको रोजाना दाल का सेवन करना चाहिए।