नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज (5 मई) कोरोना वायरस संकट पर नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से बात करेंगे। राहुल गांधी नोबेल अभिजीत बनर्जी से सुबह 9 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात करेंगे। राहुल गांधी ने 30 अप्रैल को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की थी। कोविड-19 की वजह से देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ संवाद की के लिए कांग्रेस ने एक सीरीज शुरू की है, जिसके तहत राहुल गांधी देश और विदेश के एक्सपर्ट से बात करते हैं। जिसके तहत पहला संवाद राहुल गांधी ने रघुराम राजन के साथ किया था और ये दूसरा संवाद अभिजीत बनर्जी के साथ करने वाले हैं।
अभिजीत बनर्जी के साथ आज के इस चर्चा में राहुल गांधी कोरोना संकट और भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे पटरी पर लाया जाए, इसपर बात करेंगे। राहुल गांधी ये चर्चा आज सुबह 9 बजे करेंगे। कांग्रेस ने अपने अधिकारिकट सोशल मीडिया हैंडल से बताया है कि उसका लाइव वीडियो आप पार्टी के किसी भी अधिकारिक पेज पर जाकर देख सकते हैं।
राहल गांधी ने भी आज ट्वीट कर जानकारी दी है कि आप उनके इस लाइव चर्चा को उनके फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर जाकर देख सकते हैं।
अभिजीत बनर्जी को आर्थिक क्षेत्र में योगदान के लिए बीते साल 2019 में ही नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।
राहुल गांधी और रघुराम राजन के संवाद की कुछ अहम बातें
रघुराम राजन ने राहुल गांधी से बातचीत में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत को गरीबों का पेट भरने के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत है और सरकार यह खर्च उठा पाने में सक्षम है। राजन ने राहुल गांधी से कहा था कि लॉकडाउन हटाने में हमें समझदारी से काम लेना होगा, नाप-तौलकर कदम उठाने होंगे क्योंकि भारत की लोगों को लंबे समय तक खाना खिलाने की क्षमता नहीं हैं।
राजन ने राहुल गांधी से कहा था सामाजिक सौहार्द लोक हित में है, जब हम बहुत बड़ी चुनौती से लड़ रहे हैं तब अपने घरों को बंटने नहीं दे सकते हैं।
राहुल गांधी ने आरोग्य सेतु ऐप से निजता में सेंध को लेकर सवाल उठाया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ‘आरोग्य सेतु’ एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली है जिससे निजता एवं डेटा सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो रही हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘‘ आरोग्य सेतु एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली है जिसे एक निजी ऑपरेटर को आउटसोर्स किया गया है तथा इसमें कोई संस्थागत जांच-परख नहीं है। इससे डेटा सुरक्षा और निजता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं।’’ गांधी ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रहने में मदद कर सकती है, लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना उन पर नजर रखने का डर नहीं होना चाहिए।’’