Alamgir Alam Resignation Jharkhand Lok Sabha Elections 2024: ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने आज मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। निजी सचिव के सहयोगी के घर से 36 करोड़ रुपए कैश बरामद होने के बाद ईडी ने बुधवार को आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था। गुरुवार को ईडी ने मंत्री को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने उन्हें 6 दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया था। बता दें कि ईडी ने यह खुलासा किया है कि झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में जारी कमीशनखोरी में मंत्री आलमगीर आलम को 1.5 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। मंत्री को सितंबर 2022 में कमीशन में हिस्सेदारी के रूप में तीन करोड़ रुपये मिले थे। यह रकम एक इंजीनियर ने दी थी।
जहांगीर के घर से मिले 32.20 करोड़ रुपये की वसूली, मंत्री के लिए संजीव लाल के निर्देश पर की गयी थी। ईडी की ओर से समन मिलने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम बुधवार 15 मई को दूसरे दिन ईडी कार्यालय पहुंचे थे। इससे पहले वे मंगलवार को भी दिन के 10.45 बजे हिनू स्थित ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे थे।
ईडी ने कई घंटों तक पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ और जांच में ईडी ने पाया है कि इस मामले में मंत्री आलमगीर आलम की सीधी संलिप्तता है। वैसे आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में भी इस तरह की खबरें आ रही थी कि उन्हें मंत्री पद से हटाया जा सकता है। आज वे खुद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
उल्लेखनीय है कि आलमगीर आलम झारखंड सरकार के कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री हैं। वह झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं। आलमगीर आलम कांग्रेस की धुरी रहे हैं। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ने हमेशा ही आलमगीर आलम पर भरोसा जताया है। 1995 में शुरू हुआ आलमगीर आलम का राजनीतिक सफर कभी नहीं रुका।
2000 में पाकुड़ से पहली बार चुनाव लड़ कर ये सत्ता में पहुंचे। बिहार में राबड़ी सरकार में ये राज्यमंत्री बने। एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड गठन के बाद तक आलमगीर आलम सत्ता के आसपास घूमते रहे। 2006 में आलमगीर आलम को विधानसभा अध्यक्ष बनने का मौका मिला। 2009 में हार के बाद 2014 और 2019 में जीत हासिल की।
हेमंत सरकार बनने के बाद आलमगीर आलम को संसदीय कार्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री की जिम्मेदारी मिली। हेमंत सोरेन कैबिनेट में वह नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री थे। जब भी सरकार पर संकट आया, वह सबसे आगे खड़े रहे। जब हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया तो मंत्री आलमगीर आलम ने कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाला था।
चंपई सरकार में भी उनकी वही पैठ रही जो हेमंत सोरेन सरकार में थी। ईडी ने उनके पीएस संजीव कुमार लाल एवं घरेलू सहायक जहांगीर लाल से पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ है कि ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं में टेंडर मैनेज करने से लेकर भुगतान में कमीशन की वसूली होती थी और इसका निश्चित हिस्सा बड़े अफसरों और मंत्री आलमगीर आलम तक पहुंचता था।