लाइव न्यूज़ :

तो वल्लभ भाई पटेल अब तक सुलझा चुके होते कश्मीर का मसला? जानिए क्यों कहा जाता है उन्हें "सरदार"

By मेघना वर्मा | Published: October 31, 2018 9:01 AM

सरदार व्यवहारिक राजनीति को अच्छी तरह समझते थे। देश की आजादी के समय हमारा देश कई रियासतों में बंटा था जिसे वल्लभ भाई पटेल ने ही एक जुट किया था।

Open in App

आजाद भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वें जयंती पर उनकी 182 मीटर ऊंची प्रतीमा का अनावरण आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। अहमदाबाद की नर्मदा नदी पर बने इस स्टैच्यु ऑफ यूनिटी  को दुनिया की सबसे बड़ी प्रतीमा कहा जा रहा है। गुजरात के नाडियाद में 31 अक्टूबर 1875 में जन्में सरदार वल्लभ भाई पटेल का भारत की आजादी में योगदान बेहद ही खास है। मगर क्या आप जानते हैं कि वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि कैसे मिली आइए हम बताते हैं आपको। 

जब पटेल के आगे झुक गई थी सरकार

साल 1928 में गुजरात के बारडोली सत्याग्रह का उन्होंने नेतृत्व किया। यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था। उस समय सरकार किसानों से भारी कर वसूल रही थी। सरकार ने लगान में 30 फीसदी की वृद्धि कर दी थी। जिसे लेकर किसान काफी परेशान थे। उस समय वल्लभ भाई पटेल किसानों के लिए सरकार से लड़ते नजर आए। उन्होंने सरकार की मनमानी का आंदोलन कर विरोध जताया। 

सरकार ने बहुत चाहा कि वो इस आंदोलन को रोक दें, पर ऐसा हो नहीं पाया। अंत में विवश होकर सरकार को किसानों की मांगे पूरी करनी पड़ी। इसके बाद सरकार ने लगान 30 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया। किसानों की इस सफलता का श्रेय सीधे तौर पर वल्लभ भाई को जाता था। बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधी दी थी। 

सरदार व्यवहारिक राजनीति को अच्छी तरह समझते थे। देश की आजादी के समय हमारा देश कई रियासतों में बंटा था जिसे वल्लभ भाई पटेल ने ही एक जुट किया था।  लौहपुरुष सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत में विलय करवाया था। आजादी के बाद उन रियासतों के पास विकल्प था कि वो पाकिस्तान में शामिल हों या भारत में या अलग रहना चाहते हो। ये सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे जिसकी सूझ-बूझ से कितनी ही रियासतें भारत देश में मिली। 

जब हैदराबाद के निजाम ने किया भारत से स्वतंत्र रहने का फैसला

हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान किसी भी देश में नहीं मिलना चाहते थे। वह खुद का आजाद देश बनाना चाहते थे। जब इस बात की भनक सरदार पटेल तक पहुंची तो उन्होंने निजाम को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन पोलो चला दिया। इस ऑपरेशन के जरिए निजाम उस्मान अली खान आसिफ को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया। इसके बाद हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया।  

सरदार पटेल, गांधी जी के सच्चे अनुयायी थे। हलांकि ऐसे कई बार मौके आए कि उन दोनों के बीच मतभेद हुआ। कई मुद्दों को सुलझाने के लिए पंडित नेहरू से भी उनका कई बार मतभेद हुआ। इन मुद्दों में कश्मीर का मुद्दा भी शामिल है, मगर पंडित नेहरू ने कभी उनको इस बात की इजाजत ना दी। मतभेद होने के बाद भी सरदार वल्लभ भाई पटेल का निजी अहं देश के व्यापक हित की रक्षा के आड़े कभी नहीं आया। 

टॅग्स :सरदार वल्लभ भाई पटेलसरदार पटेल जयंती
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजितने पैसों में बनी है 'स्टैचू ऑफ यूनिटी' उतने में 42 हजार गरीबों को मिल जाते फ्लैट, ये 6 बड़े काम भी हो जाते

भारत'स्टैचू ऑफ यूनिटी' के रखरखाव में खर्च होंगे 12 लाख रुपये/महीने, कहां से आएंगे पैसे?

भारतसंकुचित राजनीति को त्यागने का अवसर

भारतऐसी है दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर आंधी और भूकंप का भी असर नहीं

भारतस्टैच्यू ऑफ यूनिटी: सरदार पटेल की प्रतिमा है सबसे ऊंची, इन 4 मूर्तियों की लंबाई के टूट गए रिकॉर्ड

भारत अधिक खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: अमेठी, रायबरेली का फैसला खड़गे पर छोड़ा गया, सीईसी नेता चाहते हैं राहुल गांधी, प्रियंका को

भारतजाति आधारित आरक्षण खत्म करने पर अमित शाह का फर्जी वीडियो वायरल, बीजेपी करेगी तेलंगाना कांग्रेस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई

भारतOdisha Assembly Elections 2024: बीजेपी ने आगामी ओडिशा विधानसभा चुनाव के लिए जारी की उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट

भारतLok Sabha Election 2024: वकील उज्ज्वल निकम को मुंबई-नॉर्थ सेंट्रल से BJP ने बनाया उम्मीदवार, पूनम महाजन का टिकट कटा

भारतअप्रैल में भारत में जंगल में आग लगने की 75,000 से अधिक घटनाएं दर्ज; ओडिशा सबसे ज्यादा प्रभावित