ऐसी है दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर आंधी और भूकंप का भी असर नहीं
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 31, 2018 03:26 PM2018-10-31T15:26:44+5:302018-10-31T15:26:44+5:30
Sardar Vallabhbhai Patel Statue inauguration: 31 अक्टूबर को गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया। इसकी ऊंचाई विश्व प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से दोगुनी है।
अक्टूबर महीने के चौथे रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जो सरदार पटेल जमीन से जुड़े थे अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे। दरअसल, पीएम मोदी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की बात कर रहे थे। 31 अक्टूबर को गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का बुधवार को लोकार्पण किया। इसकी ऊंचाई विश्व प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से दोगुनी है।
चीनी मजदूरों का हाथ
देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची इमारत बनकर तैयार है। इस काम में 2500 से ज्यादा मजदूर लगे हैं। खास बात ये है कि इन मजदूरों में काफी संख्या मजदूरों की है। चीनी मजदूरों के हाथों से बनी ये मूर्ति दुनिया की मौजूदा सबसे बड़ी मूर्ति यानी चीन के स्प्रिंग टेंपल बुद्ध को भी पछाड़ देगी। आइए सबसे पहले आपको स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की बड़ी बातें बताते हैं.
- 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। साल 2010 में उन्होंने इसकी घोषणा की थी।
- अक्टूबर 2013 में गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इसका फाउंडेशन स्टोन रखा।
- 42 महीने के अंदर 2,989 करोड़ रुपये की लागत से इस मूर्ति को बनाकर तैयार कर लिया गया है।
- पीएम मोदी का मानना है कि 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' की तरह ही पटेल की ये मूर्ति सैलानियों के लिए भारत में मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मान्यूमेंट का डिजायन इंडियन स्कल्पटर राम वी सुतार ने तैयार किया।
- इस मूर्ति के बेस में एक मेमोरियल, विजिटर सेंटर, कन्वेंशन सेंटर, गार्डेन और एम्यूजमेंट पार्क होगा।
- इसके अलावा एक हैवी लोड ओपेन लिफ्ट स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अंदर रहेगी जो मूर्ति के सीने तक जाएगी। इस वजह से 400 फीट की ऊंचाई से भी मनोरम नजारा देख सकते हैं।
- यहां 15 मिनट के लेजर लाइट एंड साउंड शो को भी चलाया जाएगा जिसमें सरदार पटेल की जीनव यात्रा दिखाई जाएगी।
आंधी और भूकंप के झटकों का असर नहीं
दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने की राह आसान नहीं थी। इसमें ऊंचाई के आलावा भी कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई के साथ-साथ लोकेशन भी बहुत चुनौतीपूर्ण थी। इसे पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के तट पर बनाया गया है। इसके अलावा दुनिया की अन्य ऊंची प्रतिमाओं का बेस बड़ा है। लेकिन सरदार पटेल की मूर्ति सिर्फ दो पैरों पर खड़ी है। नैरो बेस भी एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन दावा किया जा रहा है कि ये 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाएं झेल सकता है। रिक्टर स्केल पर 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके भी झेल सकता है।
लौहपुरुष के बहाने वोट बैंक पर नजर
2019 के चुनाव करीब हैं। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का बीजेपी जोर-शोर से प्रचार कर रही है। इसके लोकार्पण के साथ ही पीएम मोदी चुनावी बिगुल फूंकेंगे। आलोचक सवाल उठा रहे हैं कि अरबों का कर्ज झेल रहा देश 3000 हजार करोड़ की मूर्ति क्यों बना रहा है। वैसे इससे भी बड़ी एक मूर्ति मुंबई के समुद्र तट पर भी बन रही है। छत्रपति शिवाजी जी की। अगले लोकसभा चुनाव से पहले बनकर तैयार हो जाएगी!
सरदार वल्लभ भाई पटेलः जीवन परिचय
सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे। बारदोली सत्याग्रह करने वाले वल्लभ भाई को सत्याग्रह के सफल होने पर वहां की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की थी। सरदार पटेल पूर्ण स्वराज के पक्षधर थे। महात्मा गांधी के साथ मिलकर उन्होंने 'भारत छोड़ो' आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए वे जेल भी गए थे।
आजादी के बाद अलग-अलग रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का 'बिस्मार्क' और 'लौह पुरुष' भी कहा जाता है। वीपी मेनन के साथ मिलकर सरदार पटेल ने लगभग 565 रजवाड़ों को भारत में शामिल होने के लिए तैयार किया था। पहले कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे। इन्हें भारत में शामिल कराने के पीछे भी सरदार पटेल की ही नीतियां थीं।