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अब दोपहर में 1 घंटे विश्राम करेंगे रामलला, बंद रहेंगे कपाट, दर्शन का नया कार्यक्रम लागू, जानें

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: February 17, 2024 12:27 PM

मंदिर के दरवाजे 12:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक बंद करने का निर्णय लिया गया है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले दर्शन का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक था, जिसमें दोपहर 1:30 से 3:30 बजे तक दो घंटे का विश्राम होता था।

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ठळक मुद्दे 17 फरवरी से दर्शन का नया कार्यक्रम लागू किया जाएगामंदिर के दरवाजे 12:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक बंद करने का निर्णय लिया गया प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से ही राम मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है

अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर में  शुक्रवार, 17 फरवरी से दर्शन का नया कार्यक्रम लागू किया जाएगा। राम लला अब एक घंटे के दोपहर के विश्राम का आनंद लेंगे। इस दौरान गर्भगृह के कपाट बंद रहेंगे और यह रामलला के विश्राम का समय होगा। राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने बालक राम की युवा प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि वह पांच साल के बच्चे हैं, इसलिए राम लला को अत्यधिक तनाव का सामना नहीं करना चाहिए।

22 जनवरी को अयोध्या में राम लला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से ही राम मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसे देखते हुए मंदिर ट्रस्ट ने "दर्शन" का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक बढ़ा दिया। 23 जनवरी से, दो घंटे के अनुष्ठान के लिए सुबह 4 बजे भगवान को जगाया जाता था। "दर्शन" सुबह 6 बजे शुरू होता था और रात 10 बजे समाप्त होता था।

पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि श्री राम लला पांच साल के बच्चे हैं और 18 घंटे तक इतना लंबा तनाव नहीं झेल सकते। इसलिए, देवता की भलाई सुनिश्चित करने के लिए, मंदिर के दरवाजे 12:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक बंद करने का निर्णय लिया गया है।  प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले  दर्शन का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक था, जिसमें दोपहर 1:30 से 3:30 बजे तक दो घंटे का विश्राम होता था।

बता दें कि अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है और यहां बड़ी संख्या में रोजाना श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। योध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर को उस भीषणतम भूकंप को भी झेलने के लिए डिजाइन किया गया है जिसके 2,500 वर्षों में एक बार आने की आशंका होती है। पूर्ण संरचना का निर्माण बंसी पहाड़पुर बलुआ पत्थर का इस्तेमाल करके किया गया है, जिसमें लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है और इसमें एक हजार साल तक कोई खामी नहीं आएगी। 

टॅग्स :राम मंदिरअयोध्याLord Ramराम जन्मभूमि
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