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पूर्व संक्रमण से कोविड-19 संक्रमण का जोखिम 10 महीनों के लिये कम हो जाता है : लांसेट अध्ययन

By भाषा | Updated: June 4, 2021 16:10 IST

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नयी दिल्ली, चार जून एक अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के लिये जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस से पहली बार संक्रमित होने के बाद अगले 10 महीनों तक इस बीमारी से फिर संक्रमित होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

जर्नल लांसेट हेल्दी लॉन्गेविटी में मंगलवार को प्रकाशित एक अनुसंधान में पिछले साल अक्टूबर से इस साल फरवरी के बीच इंग्लैंड में देखभाल गृहों (केयर होम) में रहने वाले 2000 से ज्यादा लोगों और कर्मियों में कोविड-19 संक्रमण की दर देखी गई।

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के अनुसंधानकर्ताओं ने एंटीबॉडी जांच द्वारा निर्धारित 10 महीने पूर्व तक संक्रमण का शिकार हो चुके लोगों की तुलना उन लोगों से की जिन्हें पूर्व में कोविड-19 संक्रमण नहीं हुआ था।

इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि जो लोग पूर्व में संक्रमित हो चुके थे उनके इस चार महीने की अवधि में फिर से संक्रमित होने का जोखिम उन लोगों के मुकाबले 85 प्रतिशत तक कम था जो अब तक इस संक्रमण से बचे हुए थे।

देखभाल गृहों के कर्मी जो पूर्व में संक्रमित हो चुके थे उनमें पूर्व में संक्रमित नहीं हुए लोगों के मुकाबले संक्रमित होने का जोखिम 60 प्रतिशत कम होता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह दोनों समूहों में मजबूत सुरक्षा दर्शाता है लेकिन चेताया कि प्रतिशत के इन दोनों मामलों की प्रत्यक्ष तुलना नहीं की जाती।

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि कर्मचारियों ने देखभाल केंद्रों के बाहर परीक्षण का उपयोग किया हो सकता है, जिससे सकारात्मक परीक्षणों को अध्ययन में शामिल नहीं किया जा सकता है।

यूसीएल के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स में अध्ययन की मुख्य लेखिका मारिया क्रुतिकोव ने कहा, “यह वाकई में अच्छी खबर है कि प्राकृतिक संक्रमण इस अवधि में फिर से संक्रमित होने के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। दो बार संक्रमित होने का खतरा बेहद कम नजर आता है।”

क्रुतिकोव ने कहा, “देखभाल गृहों के निवासियों के एक बार कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद मिलने वाली उच्च स्तरीय प्रतिरक्षा क्षमता आश्वस्त करने वाली है खासकर इस चिंता के मद्देनजर कि इन व्यक्तियों में बढ़ती उम्र की वजह से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कमजोर हो सकती है।”

इस अध्ययन के लिये कोविड-19 की पहली लहर के बाद 100 देखभाल गृहों में 682 निवासियों और 1429 कर्मियों की पिछले साल जून और जुलाई में एंटीबॉडी रक्त जांच की गई थी।

इनमें से करीब एक तिहाई में एंटीबॉडी पाई गईं जिसका आशय था कि वे पूर्व में संक्रमित हो चुके थे।

इसके बाद इस जांच के करीब 90 दिनों बाद अनुसंधानकर्ताओं ने प्रतिभागियों की पीसीआर जांच के नतीजों का विश्लेषण किया। 90 दिनों का अंतराल इसलिये रखा गया था ताकि जांच में कोई शुरुआती संक्रमण का मामला सामने न आए।

अक्टूबर और फरवरी के बीच फिर से संक्रमित पाए जाने वाले कर्मियों और देखभाल गृह के निवासियों की संख्या बेहद कम थी।

एंटीबॉडी जांच के नतीजों के आधार पर पूर्व में संक्रमित पाए गए 634 लोगों में से यह संक्रमण सिर्फ चार निवासियों और 10 कर्मचारियों में ही दुबारा हुआ।

जबकि 1477 प्रतिभागी जो अब तक संक्रमित नहीं हुए थे उनमें पीसीआर जांच के दौरान 93 निवासी और 111 कर्मचारी संक्रमित पाए गए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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